• सरकार पंचवर्षीय योजना की तर्ज पर एकमुश्त पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति के एलान के स्थान पर सरकार वक्त की जरूरत के मुताबिक आयातकों और निर्यातकों के लिए नीतिगत फैसले लेने को प्राथमिकता दे रही है। सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग को बढ़ाने के लिए निरंतर नीतिगत प्रयास करने होंगे जिसके लिए निश्चित अवधि वाली नीति तैयार करने का इंतजार नहीं किया जा सकता है।

• सरकार ने मौजूदा पांच वर्षीय विदेश व्यापार नीति 2015 में जारी की थी। इस वर्ष इसकी मध्यावधि समीक्षा होनी थी। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई एलान नहीं हुआ है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रलय से संकेत मिल रहे हैं कि संभवत: इस वर्ष मध्यावधि समीक्षा के लिए कोई औपचारिक बयान जारी न हो।

• निर्यातकों की समस्याओं पर विचार के लिए वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की तरफ से बुलाई गई एक बैठक के बाद वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने एक सवाल के जवाब में कहा भी कि इस संबंध में कोई औपचारिक नीतिगत एलान ोगा या नहीं, इसका निर्णय खुद मंत्री लेंगे।

• अभी तक की परंपरा के मुताबिक प्रत्येक पांच वर्षीय विदेश व्यापार नीति की तीसरे वर्ष में मध्यावधि समीक्षा की जाती थी। यह कार्य सितंबर के अंत तक पूरा कर लिया जाता था। उसके बाद निर्यातकों व आयातकों के लिए आवश्यक नीतिगत बदलावों की घोषणा की जाती थी जो नीति की शेष अवधि में जारी रहते थे।

• वाणिज्य मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बदलते वैश्विक परिदृश्य और प्रतिस्पर्धा में अब नीतिगत बदलावों के लिए दो-तीन वर्ष की इंतजार करना संभव नहीं है। बाजार की जरूरतें तेजी से बदल रही हैं। अर्थव्यवस्था में भी लगातार बदलाव हो रहे हैं।

• इस दृष्टि से प्रत्येक उद्योग क्षेत्र की रफ्तार बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि समय-समय पर जरूरत के मुताबिक निर्णय होते रहें। यही नियम आयात निर्यात क्षेत्र पर भी लागू होता है। अधिकारी का मानना है कि यदि किसी क्षेत्र विशेष के निर्यातक या आयातक किसी दिक्कत में फंसते हैं तो उसका निदान उसी वक्त करना होगा अन्यथा वे अंतरराष्ट्रीय बाजार की प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।
• सरकार इस तरह के दस्तावेजों को आज के माहौल में अप्रासंगिक मान रही है। सरकार ने पंचवर्षीय योजना बनाने का काम भी अब बंद कर दिया है। देश की आखिरी पंचवर्षीय योजना दस्तावेज 2012 से 2017 के लिए बना था। 1इस साल मार्च में इसकी अवधि समाप्त हो चुकी है।
• उसके बाद सरकार ने नयी योजना का एलान नहीं किया है। इससे पहले इस योजना की मध्यावधि समीक्षा भी नहीं हुई थी। इसी तर्ज पर अब माना जा रहा है कि पांच वर्ष के लिए आयात निर्यात नीति बनाने की परंपरा भी बंद की जा सकती है।

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