1.भारत-अमेरिका : पहली ‘‘2+2’ वार्ता आज
• अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि भारत और अमेरिका पहली ‘‘2+2’ वार्ता के दौरान ‘‘बड़े और रणनीतिक’ मुद्दों पर र्चचा करेंगे। उन्होंने कहा, बैठक मुख्य रूप से रूस से मिसाइल रक्षा पण्राली और ईरान से तेल खरीदने की भारत की योजना पर केंद्रित नहीं है।
• पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। दोनों देशों के बीच यह पहली ‘‘2+2’ वार्ता है। पोम्पिओ ने उनके साथ पाकिस्तान और उसके बाद भारत की यात्रा पर आ रहे संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, यह (भारत का रूस से मिसाइल रक्षा पण्राली और ईरान से तेल खरीदना) वार्ता का हिस्सा होगा। यह संबंधों का हिस्सा है। यह सारी बातें वार्ता के दौरान जरूर आएंगी लेकिन मुझे नहीं लगता कि बातचीत इन मुद्दों पर केंद्रित रहेगी।
• ऐसी संभावना है कि भारत वार्ता के दौरान अमेरिका को बताएगा कि वह ‘‘एस-400 ट्रियम्फ वायु रक्षा मिसाइल पण्राली’ खरीदने के लिए रूस के साथ करीब 4.5 अरब अरब डॉलर का सौदा करने वाला है।पोम्पिओ ने कहा, आधे दर्जन से अधिक ऐसी चीजें हैं जिस पर इस वार्ता में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। यह फैसले महत्वपूर्ण हैं। यह फैसले संबंधों के लिहाज से निश्चित ही महत्वपूर्ण हैं लेकिन हम रणनीतिक बातचीत के दौरान उन मुद्दों को सुलझाते हुए खुद को नहीं देखते हैं और इस दौरान इन्हें सुलझाने का इरादा भी नहीं है।
• उन्होंने कहा, यह ऐसी चीजें हैं जो बड़ी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और अगले 20, 40 और 50 साल तक रहेंगी। यह ऐसे विषय हैं जिन पर मैं और मैटिस बात करेंगे। पिछले महीने, पेंटागन ने रूस से हथियारों की खरीद पर अमेरिका के प्रतिबंधों से भारत को स्वत: छूट देने से इंकार किया था और कहा था कि वाशिंगटन रूसी मिसाइल रक्षा पण्राली सौदे को लेकर चिंतित है।
• पोम्पिओ ने पूर्व में ‘‘2+2’ वार्ता के दो बार स्थगित होने पर भी खेद जताते हुए कहा, मैं खेद प्रकट करता हूं, दूसरी बार मेरी गलती थी। मुझे प्योंगयांग जाना था। लेकिन रक्षामंत्री मैटिस और मैं अब इस पर आगे बढ़ने को लेकर आशान्वित हैं।

2. ट्रंप ईरान पर सुरक्षा परिषद की बैठक बुला सकते हैं : हेली
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक बुलाने की योजना है। इसमें ईरान के अंतरराष्ट्रीय कानूनों का कथित तौर पर उल्लंघन करने पर र्चचा होगी। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने यह जानकारी दी।
• हेली सितम्बर माह के लिए सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष बनीं। उन्होंने कहा, ट्रंप 26 सितम्बर को ईरान के मुद्दे पर 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाना चाहते हैं। अमेरिकी कदम का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के कथित उल्लंघन के लिये तेहरान पर और दबाव डालना है।
• अमेरिका ने मई में ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था। ट्रंप प्रशासन का कहना था कि ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में हुआ यह समझौता ईरान पर अपने परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के लिए पर्याप्त दबाव डालने में नाकाम रहा।
• वाशिंगटन ने 7 अगस्त को ईरान पर कठोर और एकतरफा प्रतिबंध लगाकर और उसके तेल निर्यात को रोकने के लिए 5 नवंबर की समय सीमा तय करके तेहरान पर एकबार फिर से अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश की है।संयुक्त राष्ट्र महासभा का 73वां सत्र 18 सितम्बर से न्यूयार्क में शुरू होगा। ट्रम्प के महीने के आखिर में सत्र में हिस्सा लेने की उम्मीद है।
• यह उच्चस्तरीय सप्ताह 24 सितंबर से शुरू होगा, जिसमें नियंतण्र शांति पर बैठक होगी। हेली ने कहा, ट्रंप ईरान के अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने और समूचे पश्चिम एशिया में ईरान जो सामान्य अस्थिरता के बीज बो रहा है उसका निराकरण करने के लिए बैठक बुलाना चाहते हैं।
• उन्होंने कहा, ईरान के बारे में चिंता बढ रही है। उन्होंने तेहरान की बैलिस्टिक मिसाइल महत्वाकांक्षाओं, यमन को हथियारों की बिक्री और आतंकी समूहों को समर्थन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, यह सभी संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन हैं। ये सभी क्षेत्र को खतरा हैं और इन सब बातों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को र्चचा करने की आवश्यकता है।

3. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से नहीं बढ़ेगी बेरोजगारी : यूएन
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) जैसी तकनीक के विकास से दुनियाभर में यह डर पैदा हुआ है कि कहीं मानवों के रोजगार पर पर रोबोट का कब्जा ना हो जाए। कई लोगों ने इस तकनीक के विकास से बेरोजगारी की समस्या भयावह होने की आशंका भी जताई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विशेषज्ञ एकहार्ड अर्नस्ट इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि एआइ के आने से रोजगार का स्वरूप बदलेगा, लेकिन बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की स्थिति नहीं पैदा होगी।
• अर्नस्ट का मानना है कि अपनी रचनात्मक क्षमताओं के चलते मनुष्य इन सब मशीनों से ऊपर रहेगा। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में और विशेषरूप से विकसित देशों में एआइ से बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इनसे कंस्ट्रक्शन, हेल्थकेयर और बिजनेस जैसे सेवा क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। अर्नस्ट ने कहा, ‘मामला नौकरी के अवसर खत्म होने से ज्यादा काम के स्वरूप में बदलाव का है। इन क्षेत्रों के कर्मचारियों के सामने नए तरह के काम आएंगे, जिनमें उनकी मदद के लिए कंप्यूटर और रोबोट होंगे।’
• एआइ एल्गोरिदम की वजह से ऐसे काम आसानी से हो सकेंगे, जो एक ही र्ढे पर लगातार होते हैं और जिनमें बहुत समय लग जाता है। मनुष्य पारस्परिक संबंधों, सामाजिक कार्यो और भावनात्मक गुणों को निखारने पर काम कर सकेंगे। विकासशील देशों में इसका सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र को होगा।
• एआइ पहले से ही मौसम की जानकारी से लेकर बाजार भाव बताने तक के विभिन्न मामलों में किसानों की सहायता कर रहा है। सब-सहारा अफ्रीका में यूएन फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन की मदद से एक एप बनाया गया है जो फसलों के कीड़ों की पहचान कर लेता है। अन्स्र्ट ने कहा, ‘वर्तमान समय में जरूरत है कि लोगों को डिजिटल टेक्नोलॉजी की जानकारी दी जाए, ताकि वे मशीनों के साथ आसानी से काम कर सकें। लोग इन मशीनों का उसी तरह इस्तेमाल करने में सक्षम बनें, जैसे वो अपनी कार या कुल्हाड़ी का करते हैं।’
• यूएन विशेषज्ञ ने कहा कि तकनीकी विकास उपभोक्ताओं की मांग और कंपनियों की आपूर्ति पर निर्भर है। यह इस पर निर्भर है कि कर्मचारी तकनीक को विकसित करने में कितने सक्षम हैं और ग्राहक ऐसी तकनीक चाहता है या नहीं। उन्होंने ऑनलाइन खरीदारी के बढ़ते ट्रेंड को भी उपभोक्ताओं के व्यवहार में आए बदलाव का उदाहरण माना है।
• उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से देखा जा सकता है कि प्रौद्योगिकी ने नए उत्पाद और बाजार का निर्माण किया है। 20वीं सदी में ऑटोमोबाइल सेक्टर ने घोड़ागाड़ी को चलन से बाहर कर दिया, लेकिन इसी के साथ उसने कार निर्माण से लेकर सर्विसिंग तक ढेरों रोजगार के अवसर पैदा कर दिए।

4. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट: 15 साल में भारत में घटने की बजाय 2% बढ़ गए आलसी; फिजिकल एक्टिविटी में चीन, पाकिस्तान, नेपाल से भी पीछे हम
• भारतीय लोग शारीरिक रूप से चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार के लोगों से भी कम एक्टिव हैं। ये नतीजा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की हालिया रिपोर्ट से निकला है।
• रिपोर्ट के मुताबिक- देश के 34% लोग इनसफिशिएन्ट फिजिकली एक्टिव (शारीरिक रूप से बेहद कम सक्रिय) हैं। इससे पहले 2001 में ऐसा अध्ययन किया गया था। तब भारत के 32% लोग इनसफिशिएन्ट फिजिकली एक्टिव थे। फिर डब्ल्यूएचओ ने अगले अध्ययन के लिए 15 साल डेटा इकट्‌ठा किए।
• 2016 में हिसाब किया गया तो भारत के आलसी लोगों की संख्या घटने की बजाय उल्टा 2% बढ़ गई। डब्ल्यूएचओ ने दुनिया भर के लोगों की फिजिकल एक्टिविटी जानने के लिए 168 देशों के करीब 19 लाख लोगों पर अध्ययन किया। इनमें भारत के करीब 77 हजार लोग शामिल थे। अध्ययन में भारत को 168 देशों में 52वां स्थान मिला। डब्ल्यूएचओ के इस स्टडी को लैनसेट ने जारी किया है।
• शारीरिक रूप से कम एक्टिव होने की वजह से दुनिया की करीब डेढ़ करोड़ युवा आबादी पर 6 तरह की बीमारियों का खतरा है। इनमें कार्डियोवेस्कुलर डिसीज, हाइपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज, ब्रेस्ट और आंत का कैंसर और डिमेंशिया जैसी बीमारियां शामिल हैं।
• भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं और भी कम एक्टिव हैं। 24.7% पुरुष तो 43.3% महिलाएं कम एक्टिव हैं। भारत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित कई और राज्यों के लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया गया।

NATIONAL

5. यौन उत्पीड़न के शिकार बालकों को भी मिलेगा मुआवजा
• यौन उत्पीड़न के शिकार बालकों को भी दुष्कर्म पीड़िताओं की तरह मुआवजा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी (नालसा) की यौन उत्पीड़न और एसिड हमले की शिकार महिलाओं के लिए बनाई गई पीड़ित मुआवजा योजना को बाल यौन उत्पीड़न निरोधक कानून (पॉक्सो) के मामलों में भी लागू करने का आदेश दिया है।
• कोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार पॉक्सो कानून में पीड़ितों को मुआवजा देने के बारे मे नियम बनाती है, तब तक नालसा की मुआवजा योजना को पॉक्सो मामलों में भी दिशा-निर्देश के तौर पर लागू किया जाएगा। नालसा की पीड़ित मुआवजा योजना 2 अक्टूबर से पूरे देश में लागू होनी है। 1पॉक्सो कानून जेन्डर न्यूट्रल है। इसमें 18 वर्ष तक के बालक और बालिकाएं बच्चे माने गए हैं। बालिकाओं के यौन उत्पीड़न मामले मे आइपीसी की दुष्कर्म की धारा भी शामिल हो जाती थी।
• इससे पीड़ित बच्चियों को नालसा योजना के तहत मुआवजा मिल सकता था, लेकिन बालक उसमें नहीं आते थे। 1ये आदेश बुधवार को न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों को मुआवजे के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए दिये। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने अभी तक पॉक्सो कानून के तहत पीड़ितों को मुआवजे के रूल नहीं बनाए हैं।
• इसके मुताबिक पॉक्सो मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालतें पीड़ित नाबालिगों को मुआवजा देने का आदेश दें। पीठ ने कहा कि उनका मानना है कि जब तक सरकार पॉक्सो के तहत मुआवजा देने के बारे में नियम बनाती है, तब तक नालसा की मुआवजा योजना पॉक्सो मामलों के बारे में भी लागू होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने नालसा की योजना और इस आदेश के प्रति सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने का आदेश दिया है। ताकि वे इसे निचली अदालतों और जिला व राज्य विधिक सेवा अथारिटी को भेज सकें।
• कोर्ट ने नालसा की मुआवजा योजना और कोर्ट के आदेश की व्यापक पब्लिसिटी का भी आदेश दिया है।
• मामले पर सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रलय की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पॉक्सो कानून में संशोधन का प्रस्ताव है। कानून में संशोधन होने के बाद रूल बनाए जाएंगे। इससे पहले न्यायमित्र इंद्रा जयसिंह ने कहा कि नालसा योजना पूरे देश में 2 अक्टूबर से लागू होने वाली है। उसमें मुआवजा की सीमा तय है जबकि पॉक्सो कानून में मुआवजा नियम नहीं हैं।

ECONOMY

6. जनधन योजना जारी रहेगी, इन खातों में ओडी और बीमा राशि भी दोगुनी हुई
• केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना को दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना बताते हुए आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया है। इसे अब हर परिवार से आगे हर वयस्क व्यक्ति तक विस्तार दिया जाएगा। साथ ही जनधन खाते में मिलने वाली ओवर ड्राफ्ट (ओडी) और बीमा राशि भी दोगुनी कर दी गई है।
• पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार देर शाम हुई कैबिनेट बैठक में ये निर्णय हुए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि जनधन योजना शुरुआत में चार वर्षाें के लिए थी। यह अवधि अगस्त में समाप्त हो गई।
• अब योजना अगले फैसले तक जारी रहेगी। मौजूदा जनधन खाताें पर ओडी की सीमा पांच हजार रुपए ही रहेगी। नए खातों के लिए यह सीमा 10 हजार होगी। इसके तहत मिले रुपे कार्ड से जुड़ी दुर्घटना बीमा योजना की राशि एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपए की गई है।

SCIENCE/ENVIRONMENT

7. अनुमान से ज्यादा खतरनाक हैं नैनोकण
• रोजमर्रा की चीजों में पाए जाने वाले हजारों की संख्या में नैनोकण अपनी यूनिक विशेषताओं के कारण हमारी कोशिकाओं के लिए हानिकारक जहरीला कॉकटेल बना सकते हैं।
• यह बात एक में सामने आई इै। इसमें बताया गया है कि अभी तक इन नैनोकणों को जितना खतरनाक समझा गया था, ये हमारे शरीर के लिए उससे ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।
• नैनोटोक्सीकोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित इस में वैज्ञानिकों ने बताया कि नैनोसिल्वर और कैडमियम आयनों के कॉकटेल के संपर्क में आने पर कोशिकाओं के मरने की दर अधिक थी। वहीं, जब कोशिकाएं अलग-अलग इनके संपर्क में आईं तो इनके मरने की दर कम थी।
• पर्यावरण में तेजी से बढ़ रहे नैनोकण : शोधकर्ताओं के मुताबिक, नैनोकण हमारे पर्यावरण में लगातार तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर सिल्वर नैनोकण रेफ्रीजरेटर, कपड़ों, सौंदर्य प्रसाधनों, टूथ ब्रशों, वाटर फिल्टरों आदि स्थानों व चीजों पर पाए जाते हैं। इनमें बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता होती है।
• शोधकर्ताओं ने पाया कि जब कोशिकाएं नैनोसिल्वर और कैडमियम आयनों के संपर्क में आईं तब उनमें से 72 फीसद कोशिकाएं मर गईं। वहीं, जब वे केवल नैनोसिल्वर के संपर्क में आईं तब 25 फीसद और जब वे केवल कैडमियम आयनों के संपर्क में आईं तब 12 फीसद मरीं। यह मानव यकृत कैंसर कोशिकाओं पर किया गया।
• कॉकटेल प्रभाव को देखने की जरूरत : एसडीयू के प्रोफेसर फ्रैंक जेल्डसन ने कहा कि इस से संकेत मिलता है कि जब हम अपने स्वास्थ्य पर नैनोकणों के असर का करने की कोशिश कर रहे हों तो हमें उसके कॉकटेल प्रभाव को भी देखने की जरूरत है।
• कई देशों में कोई नियम नहीं : बकौल जेल्डसन, रोजाना नैनोकणों के साथ वस्तुओं का विकास और निर्माण किया जा रहा है, लेकिन बहुत से देशों में इसे रोकने के लिए कोई नियम ही नहीं है। इसलिए हमें यह नहीं पता चल पाता कि हम पर्यावरण में कितने नैनोकणों को मुक्त कर रहे हैं।
• वह कहते हैं, यह समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इससे न केवल पर्यावरण बल्कि हमारा शरीर भी प्रभावित हो रहा है। इसके लिए देशों को उचित कदम उठाने जाने की जरूरत है। यदि समय रहते नहीं चेते तो भविष्य में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

8. जापान में जेबी तूफान से भारी तबाही, 10 की मौत
• जापान अभी बाढ़ की तबाही से ठीक से उबर भी नहीं पाया था कि उस पर अब चक्रवाती तूफान जेबी की मार पड़ी है। इसके चलते जापान के दूसरे सबसे बड़े शहर ओसाका और इसके आसपास के इलाकों में जानमाल के भारी नुकसान की खबर है। तूफान की चपेट में आकर 10 लोगों की मौत हो गई। करीब 300 लोग घायल हुए हैं।
• तूफान हालांकि अब कमजोर पड़ चुका है, लेकिन यह अपने पीछे भारी तबाही छोड़ गया है। पानी भरने से देश के दूसरे सबसे व्यस्त एयरपोर्ट कांसाई को बंद करना पड़ा। वहां फंसे करीब तीन हजार यात्रियों को पानी के बीच रात गुजारनी पड़ी। उनमें से ज्यादातर को बुधवार को नावों की मदद से निकाला गया। जापान में पिछले 25 सालों का यह सबसे शक्तिशाली तूफान बताया गया है।
• जेबी तूफान मंगलवार को सबसे पहले शिकोकू द्वीप से टकराया था। इसके चलते 216 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं और तेज बारिश हुई। इसका सबसे ज्यादा असर ओसाका के आसपास के इलाकों में देखने को मिला। कई घरों और ऊंची इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है। दर्जनों कारों समेत कई गाड़ियां ताश के पत्तों की तरह उड़कर क्षतिग्रस्त हो गईं।
• कांसाई एयरपोर्ट को शहर से जोड़ने वाले इकलौते पुल पर भी कई बड़े वाहन पलट गए। ढाई हजार टन वजनी एक जहाज भी पुल से टकरा गया। अभी यह साफ नहीं हो सका है कि एयरपोर्ट को कब खोला जाएगा। इस एयरपोर्ट से रोजाना 400 उड़ानों की आवाजाही होती है।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *