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1.समलैंगिकता अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
• दो वयस्कों के बीच एकांत में बनाए गए यौन संबंधों को सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह जायज ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिए गए फैसले में आईपीसी की धारा 377 को आंशिक रूप से गैर-कानूनी करार दिया।
• सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत दुनिया का 26वां देश बन गया जहां समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परस्पर सहमति से वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध अपराध नहीं है। ऐसे यौन संबंधों को अपराध के दायर में रखने संबंधी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के प्रावधान से संविधान में प्रदत्त समता और गरिमा के अधिकार का हनन होता है।
• अदालत ने धारा 377 के तहत सहमति से समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करते हुए कहा कि यह तर्कहीन, सरासर मनमाना और निजी आजादी के खिलाफ है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, अजय खानविलकर, धनन्जय चन्द्रचूड और इन्दु मल्होत्रा शामिल की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 495 पेज में चार अलग अलग फैसलों में कहा कि एलजीबीटीक्यू समुदाय को देश के दूसरे नागरिकों के समान ही संवैधानिक अधिकार रखते हैं।
• संविधान पीठ ने लैंगिक रुझान को जैविक घटना और स्वाभाविक बताते हुए कहा कि इस आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव से मौलिक अधिकारों का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी सहमति स्वतंत्र सहमति होनी चाहिए जो पूरी तरह स्वैच्छिक है और किसी भी तरह के दबाव या भय से मुक्त है। अदालत ने कहा कि नैतिकता को सामाजिक नैतिकता की वेदी पर शहीद नहीं किया जा सकता।
• 2 जुलाई 2009 को दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का फैसला दिया। इसके खिलाफ 2009 से 2012 तक कई धार्मिक संगठन और व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
• सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसम्बर 2013 को इस फैसले को पलट दिया। साथ ही मामले के अंतिम फैसले का जिम्मा संसद पर छोड़ दिया। 2015 में शशि थरूरलोकसभा में एक प्राइवेट बिल लाए, जिसमें समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने की बात कही गई लेकिन लोकसभा ने इसके खिलाफ वोट किया।
• क्या है धारा 377 :- आईपीसी में 1861 में शामिल की गई धारा 377 के मुताबिक कोई किसी पुरु ष, स्त्री या पशुओं से प्रकृति की व्यवस्था के विरु द्ध संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा।
• इस अपराध के लिए उसे उम्रकैद या 10 साल तक की कैद के साथ आर्थिक दंड का भागी होना पड़ेगा। 377 पूरी तरह रद्द नहीं हुई हैजानवरों के साथ अप्राकृतिक संबंध स्थापित करने पर यह धारा लागू रहेगीनाबालिगों के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने पर भी इसी धारा के तहत मुकदमा चलेगा
• कोर्ट ने कहा कि सबको समान अधिकार सुनिश्चित करने की जरूरत है। समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए।
• एलजीबीटी समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय, मौलिक अधिकार हैं।
• संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है। इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं।
• सेक्शुअल ओरिएंटेशन बयॉलजिकल है। इस पर रोक संवैधानिक अधिकारों का हनन।
• हमारी विविधता को स्वीकृति देनी होगी। व्यक्तिगत चॉइस का सम्मान देना होगा। एलजीबीटी को भी समान अधिकार है। राइट टू लाइफ उनका अधिकार है और यह सुनिश्चित करना कोर्ट का काम है।
• सहमति से बालिगों के समलैंगिक संबंध हानिकारक नहीं हैं। धारा 377 अनुच्छेद 14 के तहत मौजूदा रूप में सही नहीं है।
• कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 377 ‘‘गरिमा के साथ जीने के अधिकार’ का उल्लंघन है।
• धारा 377 की वजह से समुदाय के सदस्य छिपकर और दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह जीने को मजबूर हैं, जबकि बाकी दूसरे लोग अपने यौन रु झान के अधिकार का उपभोग कर रहे हैं।
• समाज आपसी सहमति से 2 बालिगों के बीच यौन संबंधों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकता क्योंकि ये उनका निजी मामला है।
• भारत ने अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों पर दस्तखत किए हैं और उसके लिए इन संधियों के प्रति प्रतिबद्ध रहना जरूरी है।
• संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि जहां धारा 377 में एकांत में वयस्कों के सहमति से यौन क्रियाओं को अपराध के दायरे में रखने का संबंध है तो इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 में प्रदत्त अधिकारों का हनन होता है।

2. तेलंगाना विधानसभा समयपूर्व भंग
• तेलंगाना विधानसभा भंग किए जाने के कई दिनों से लगाए जा रहे कयासों पर चंद्रशेखर राव मंत्रिमंडल की इससे संबंधित सिफारिश राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन के तत्काल स्वीकार कर लेने से बृहस्पतिवार को विराम लग गया और चंद्रशेखर राव ने विधान सभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी के 105 उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी।
• राव की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक के तुरंत बाद राव मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ राजभवन गये और उन्होंने नरसिम्हन को मंत्रिमंडल की सिफारिश की प्रति सौंपी। इस पर नरसिम्हन ने त्वरित कार्रवाई करते उसे स्वीकार कर लिया।
• राज्यपाल ने मंत्रिमंडल की सिफारिश मंजूर करते हुए राव और उनकी मंत्रिपरिषद से कार्यवाहक सरकार के रूप में कार्य करते रहने का आग्रह किया, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया।

INTERNATIONAL/BILATERAL

3. भारत और अमेरिका ने किया ‘कॉमकासा’ करार
• आजादी के बाद से ही अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहे भारत के लिए आने वाले दिन भारी बदलाव के होंगे। अब से आने वाले दिनों में अभिन्न रक्षा सहयोगी मित्र अमेरिका होगा। भारत और अमेरिका ने नई रक्षा संधि (कॉमकासा) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जो दोनों देशों को सबसे मजबूत रक्षा सहयोगी देश के तौर पर स्थापित करेगा।
• इस समझौते के बाद अमेरिका के लिए भारत का महत्व एक नाटो देश की तरह हो गया है। भारत से पहले जापान और आस्ट्रेलिया के साथ ही इस तरह का समझौता अमेरिका ने किया है। सनद रहे कि एक दशक पहले तक भारत-अमेरिका के बीच बेहद कम रक्षा सहयोग होता था। लेकिन अब सालाना 10 अरब डॉलर के उपकरण खरीदे जा रहे हैं। इनका आकार आने वाले दिनों में और तेजी से बढ़ सकता है।
• अमेरिका के साथ गुरुवार को हुई पहली टू प्लस टू वार्ता बेहद सफल रही। इस दौरान पहली बार दोनों देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के बीच हॉटलाइन स्थापित करने का फैसला लिया गया। इतना ही नहीं, भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रलय) में एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति भी होगी।
• वार्ता में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री जिम मैटिस शरीक हुए। 1क्या है कॉमकासा : कॉमकासा यानी कम्युनिकेशंस एंड इंफरेमेशन ऑन सिक्यूरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट अमेरिका ने नाटो समेत कुछ अन्य देशों के साथ किया हुआ है।
• यह अमेरिका की तरफ से उसके सहयोगी देशों को बेहद अत्याधुनिक रक्षा तकनीक देने और आपातकालीन स्थिति में उन्हें फौरी मदद देने की राह निकालता है। 1चिढ़ सकता है चीन : यह समझौता चीन को बेहद नागवार गुजर सकता है, क्योंकि भारत व अमेरिका ने टू प्लस टू वार्ता के बाद जारी साझा बयान में इस बात के संकेत दिए हैं कि वह पूरे क्षेत्र में द्विपक्षीय व त्रिपक्षीय सहयोग के साथ चार देशों के सहयोग को लेकर भी तैयार है।
• सनद रहे कि भारत, अमेरिका, जापान व आस्ट्रेलिया के बीच पिछले एक वर्ष में दो बार विमर्श हुआ जिसे हिन्द -प्रशांत क्षेत्र में एक नए समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है।
• अगले वर्ष त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास : भारत व अमेरिका ने कहा है कि उनकी तीनों सेनाओं के बीच अगले वर्ष पहली बार सैन्य अभ्यास किया जाएगा। संभवत: यह हिन्द महासागर में किया जाएगा जहां चीन की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए चिंता का सबब बनी हुई हैं।

4. भारतीय सेना के लिए अहम है एनक्रिप्टिड डील
• अमेरिका के साथ कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट डील भारतीय सशस्त्र बलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह काफी समय से लंबित थी और इस पर बहस भी हुई थी कि क्या भारत को अमेरिका के साथ कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना चाहिए, क्योंकि कुछ लोग शंका जता रहे थे कि इससे अमेरिका को अनुचित हस्तक्षेप का मौका मिल सकता है।
• हालांकि गुरु वार को 2+2 वार्ता के दौरान भारत और अमेरिका के बीच यह महत्वपूर्ण सुरक्षा समझौता हो गया। यह डील कितनी अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब अमेरिका अपनी संवेदनशील सुरक्षा तकनीकों को भी भारत को बेच सकेगा। भारत पहला ऐसा गैर-नाटो देश है, जिसे अमेरिका यह सुविधा देने जा रहा है।
• कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट वास्तव में कम्युनिकेशन ऐंड इन्फर्मेशन ऑन सिक्यॉरिटी मेमोरैंडम ऑफ अग्रीमेंट का भारतीय वर्जन है। भारत और अमेरिका में यह समझौता होने के बाद दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के ज्यादा करीब आएंगी और उनमें सहयोग बढ़ेगा।
• आपको बता दें कि अमेरिका ने 2016 में भारत को प्रमुख डिफेंस पार्टनर कहा था। कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट उन चार मूलभूत समझौतों में से एक है जो अमेरिका अपने सहयोगी और करीबी पार्टनर देशों के साथ करता है, जिससे सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ सके। इसके तहत भारतीय सेना को अमेरिका से महत्वपूर्ण और एनक्रिप्टिड (कूट रूप से सुरक्षित) रक्षा प्रौद्योगिकियां मिलेंगी।
• यह करार अमेरिका से मंगाए गए रक्षा प्लेटफॉर्मों पर उच्च सुरक्षा वाले संचार उपकरणों को लगाने की भी इजाजत देगा। कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट के तहत भारत को अपनी सेना के लिए अमेरिका से कुछ आधुनिक संचार पण्राली मिलने की अनुमति मिल गई है। इन प्लैटफॉर्म्स में सि -17, सि -130 और प -8 एयरक्रॉफ्ट, अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर्स प्रमुख हैं। अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं होने के कारण भारत वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध संचार पण्रालियों का इस्तेमाल कर रहा है।
• गुरु वार को 2+2 वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया है कि इससे यूएस मूल के मौजूदा प्लैटफॉर्म्स का भारत इस्तेमाल कर सकेगा। वार्ता में दोनों देशों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने का भी फैसला हुआ। कम्युनिकेशंस कॉम्पैटिबिलिटी ऐंड सिक्यॉरिटी अग्रीमेंट करार होने के बाद भारत अमेरिका से महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियां हासिल कर सकेगा और अमेरिका तथा भारतीय सशस्त्र बलों के बीच अंतरसक्रियता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण संचार नेटवर्क तक भारत की पहुंच होगी।
• भारत पहले ही अमेरिका के साथ चार में से दो समझौते कर चुका है- 2002 में जनरल सिक्यॉरिटी ऑफ मिलिटरी इन्फॉर्मेशन अग्रीमेंट और 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ अग्रीमेंट। अब एक समझौता ही बाकी जो बेसिक एक्सचेंज ऐंड कोऑपरेशन अग्रीमेंट फॉर जियो-स्पेशल कोऑपरेशन है।
• इस डील के बाद अब कानूनी तौर पर अमेरिका से आधुनिक संचार सुरक्षा उपकरण मिल सकेंगे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भारत द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मौजूदा सिस्टम्स से कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं।

5. ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही परमाणु निरस्त्रीकरण करना चाहते हैं किम
• उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए पहली बार समय सीमा तय की है। वह इस प्रक्रिया को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही पूरा कर लेना चाहते हैं। किम ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के साथ तीसरी शिखर वार्ता के लिए भी सहमति दे दी है। दोनों नेताओं की यह वार्ता 18 से 20 सितंबर को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में होगी।
• योंग के नेतृत्व में उत्तर कोरिया गया था प्रतिनिधिमंडल : मून के विशेष दूत चुंग ईयू-योंग ने गुरुवार को यह जानकारी दी। योंग के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को प्योंगयांग के दौरे पर किम से मुलाकात की थी। वहां से लौटने पर योंग ने कहा, ‘किम और मून परमाणु निरस्त्रीकरण के संबंध में व्यावहारिक उपायों पर चर्चा करेंगे।
• ट्रंप पर यकीन है : किम ने दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल से कहा कि उन्हें ट्रंप पर यकीन है। वह जनवरी, 2021 में ट्रंप का पहला कार्यकाल समाप्त होने से पहले परमाणु निरस्त्रीकरण और अमेरिका के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों को खत्म करना चाहते हैं।’
• सहयोग की व्यक्त की इच्छा : किम ने पहली बार दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के समक्ष देश के परमाणु हथियारों को नष्ट करने की समय सीमा का प्रस्ताव रखा है। चुंग के अनुसार, किम ने कहा कोरियाई प्रायद्वीप के संपूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के अपने संकल्प को फिर से दोहराया और इस संबंध में अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की।
• चुंग के अनुसार, किम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उनके संकल्प पर संदेह जताने पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया निरस्त्रीकरण के लिए समयबद्ध तरीके से कदम उठा रहा है।
• अमेरिका-उत्तर कोरिया में दूर हो सकता है गतिरोध : किम और मून की शिखर वार्ता से उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच परमाणु मसले पर गतिरोध दूर हो सकता है। दोनों देशों में यह गतिरोध पिछले महीने उस समय पैदा हो गया था, जब ट्रंप ने विदेश मंत्री माइक पोंपियो का उत्तर कोरिया दौरा रद कर दिया था।
• उन्होंने उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण में प्रगति नहीं होने को इसका कारण बताया था। इससे पहले गत 12 जून को सिंगापुर में ट्रंप और किम के बीच ऐतिहासिक शिखर वार्ता हुई थी। इसमें कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने की दिशा में काम करने और वार्ताs जारी रखने पर सहमति बनी थी, लेकिन तब से इस मसले पर कोई खास प्रगति नहीं हुई।
• ट्रंप ने जाहिर की खुशी : किम के इस बयान पर ट्रंप ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘हम इसके लिए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन का आभार व्यक्त करते हैं। हम इसे एक साथ मिलकर पूरा करेंगे।’

6. कोबिंद ने बुल्गारिया के पीएम से मुलाकात की
• राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने बृहस्पतिवार को यहां बुल्गारिया के प्रधानमंत्री बोयको बोरिसोव से मुलाकात की तथा महत्वाकांक्षी ‘‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में विनिर्माण के लिए इस बाल्कन देश की कंपनियों को आमंत्रित किया।
• यूरोप के तीन देशों की अपनी आठ दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से कोबिंद मंगलवार को यहां पहुंचे थे। बुल्गारिया से वह चेक गणराज्य जाएंगे। राष्ट्रपति सचिवालय ने ट्वीट किया, राष्ट्रपति को¨वद ने बुल्गारिया के प्रधानमंत्री बोरिसोव से मुलाकात की। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाए जाने का आह्वान किया और ‘‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में विनिर्माण के लिए बुल्गारिया की कंपनियों को आमंत्रित किया।
• भारत और बुल्गारिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार केवल 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है।को¨वद ने बुधवार को भारत-बुल्गारिया बिजनेस फोरम में कहा था, मुझे उम्मीद है कि यदि हम एक-दूसरे की अर्थव्यवस्थाओं को गहराई से समझते है और संभावनाओं की तलाश करते है तो बहुत कुछ किया जा सकता है। मुझे यकीन है कि आज आपके साथ हुआ विचार विमर्श बहुत सार्थक साबित होगा।
• उन्होंने कहा, हमारे आर्थिक संबंध अब तक सामान्य रहे है और हमारे लिए इन संबंधों को और बढ़ावा दिए जाने का समय है। राष्ट्रपति ने कहा, बुल्गारिया की कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊंची उड़ान का फायदा उठा सकती है और भारतीय कंपनियां बुल्गारिया में घरेलू बाजार और व्यापक ईयू अर्थव्यवस्था दोनों के लिए साझेदारी कर सकती हैं।
• उन्होंने कहा, दो तरफा व्यापार और निवेश संबंधों के संभावित क्षेत्रों में आईसीटी, जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण,चिकित्सा उपकरण, रक्षा उत्पादन, आधारभूत ढांचे और पर्यटन क्षेत्र शामिल हैं।

SCIENCE

7. गगनयान के लिए भारत और फ्रांस ने किया समझौता
• भारत और फ्रांस ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को गगनयान पर साथ मिलकर काम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह इसरो का पहला मानवयुक्त यान मिशन है। दोनों देशों ने इस परियोजना के लिए एक कार्यकारी समूह गठित किया।
• फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के अध्यक्ष ज्यां येव्स ली गॉल ने कहा कि अंतरिक्ष सहयोग के दायरे में इसरो को फ्रांस में अंतरिक्ष अस्पताल केंद्रों की सुविधा देना और अंतरिक्ष औषधि, अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्य की निगरानी करने, जीवन रक्षा संबंधी सहयोग मुहैया कराने, विकिरणों से रक्षा, अंतरिक्ष के मलबे से रक्षा और निजी स्वच्छता व्यवस्था के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना शामिल है।
• सीएनईएस अध्यक्ष ने कहा कि दोनों देश जिस स्थितियों में एक साथ काम करने जा रहे हैं उन्हें परिभाषित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारत की वर्ष 2022 से पहले, तीन मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का मिशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत को दुनिया के चौथे देश की फेहरिस्त में शामिल करेगा जिसने कोई मानवयुक्त यान अंतरिक्ष में भेजा है।
• गॉल ने कहा, एमओयू के तहत पहला कदम अंतरिक्ष औषधि पर काम करने को लेकर विशेषज्ञों का आदान-प्रदान करना है। हम इसकी पहचान करने के लिए अपने विशेषज्ञों को भेज रहे हैं कि असल में हम एक साथ क्या काम करने जा रहे हैं।
• हमारे पास फ्रांस में अंतरिक्ष अस्पताल जैसी सुविधाएं हैं तो हम इसमें भी सहयोग करेंगे।’ इसरो की योजना अपने अंतरिक्ष यात्रियों के जरिए बेहद कम गुरुत्वाकर्षण पर प्रयोग करने की है।
• एमओयू के बीज उस समय बोए गए थे जब फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों इस साल मार्च में दिल्ली की यात्रा पर आए थे और भारत तथा फ्रांस ने अंतरिक्ष सहयोग पर संयुक्त दृष्टिपत्र (विजन) जारी किया था।
• इसरो के चेयरमैन के सिवान ने कहा कि संयुक्त विजन बयान एक व्यापक समझौता था जबकि आज का समझौता ज्ञापन खासतौर से मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को लेकर है।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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