(एलिजाबेथ पोवोलेडो)
©The New York Times

स्पेन के क्षेत्र केटालोनिया की आबादी करीब 75 लाख है और पिछले कुछ दिनों से उसके स्पेन से अलग होने के अभियान की खबरें रही हैं। स्पेन सरकार अपने इस क्षेत्र को अलग होने से रोक पाएगी या नहीं, यह बाद में पता चलेगा, लेकिन ऐसा हुआ तो यूरोप के अन्य देशों पर भी बिखरने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिशा में स्कॉटलैंड, इटली के मिलान और वेनिस भी चल रहे हैं।
स्कॉटलैंड के प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि वे इस क्षेत्र को बचाने के लिए सारे प्रयास करेंगे। उधर, इटली के लोम्बार्डी क्षेत्र में भी ऐसा होने जा रहा है। वहीं मिलान शहर है, जो फैशन का ग्लोबल हब है। वहां भी जनमतसंग्रह होने वाला है। मिलान में इन दिनों टैक्सी केब, दुकानों पर बोर्ड लगाकर एवं विज्ञापन टांगकर लोगों से वोट देने की अपील की जा रही है। इस वोटिंग का बड़ा कारण टैक्स है, जो मिलान के लोग केंद्र सरकार को भेजते हैं। संभव है कि वोटिंग के बाद केंद्र सरकार पर टैक्स वापस करने के लिए भी दबाव डाला जाए।
इटली का एक अन्य क्षेत्र वेनेटो है, जिसके अंतर्गत वेनिस शहर है। वहां भी जनमतसंग्रह कराने की तैयारी है। स्पेन और इटली में थोड़ा अंतर है। केटालोनिया में पिछले दिनों जब हजारों लोग सड़कों पर अलग होने की मांग के साथ उतरे, तब कुछ लोगों की पुलिस के साथ झड़प हुई थी। इसके विपरीत इटली का मूड थोड़ा अलग और केटालोनिया से शांत है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इटली में होने वाले जनमतसंग्रह के परिणाम किसी के लिए बाध्यकारी नहीं होंगे। लेकिन उसके बाद वहां की क्षेत्रीय सरकार केंद्र के समक्ष ज्यादा मजबूती से अपनी बात रख सकेगी। अपनी मांग पूरी करा सकेगी। लोम्बार्डी क्षेत्र की सरकार नॉदर्न लीग के प्रेसीडेंट रॉबर्टो मारोनी ने कहा- यह वोटिंग क्रांतिकारी चरण साबित होगी।
केटोलोनिया, लोम्बार्डी और वेनेटो में जनमतसंग्रह इस बात का संकेत है कि यूरोप में अंदरुनी तौर पर संघर्ष की शुरआत हो चुकी है। हाल के वर्षों में इसकी शुरुआत ब्रिटेन से हुई थी। 2014 में स्कॉटलैंड में यूके से अलग होने के लिए जनमतसंग्रह कराया गया था, लेकिन ज्यादा वोट यूके के साथ रहने पर पड़े थे। लेकिन, स्कॉटलैंड में यूके से अलग होने के मुद्दे ने बहस का रूप ले लिया है। ऐसे जनमतसंग्रह की आहट फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम और रोमानिया में भी सुनाई देने लगी है।
लोम्बार्डी के प्रेसीडेंट रॉबर्टो मारोनी की सरकार 23 क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण चाहती है, जिसमें सुरक्षा, आव्रजन, शिक्षा, वैज्ञानिक शोध और पर्यावरण संरक्षण भी शामिल है। उनका मानना है कि वे 54 अरब यूरो केंद्र सरकार को टैक्स के रूप में भेजते हैं, बदले में उन्हें कछ खास नहीं मिलता। लोम्बार्डी में क्षेत्रीय सरकार के सचिव पाउलो ग्रिमोल्दी कहते हैं- वैश्वीकरण के इस युग में हमारे उद्योग चीन और भारत के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इसलिए आज क्षेत्र के संसाधनों पर ज्यादा निवेश की जरूरत है जिससे हमारा आर्थिक पक्ष और मजबूत होगा। (DB)

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