• क्या है जैव विविधता👇

– किसी क्षेत्र में उपस्थित जीवन के विभिन्न रूपों को जैव विविधता की श्रेणी में रखा जाता है।
– इसमें वहां उपस्थित जीवों और वनस्पतियों की सभी प्रजातियां शामिल हैं।
– विभिन्न जीवों की संतुलित उपस्थिति से उस क्षेत्र के प्राकृतिक स्वास्थ्य का पता चलता है।
– यूएन धरती पर जैव विविधता को सुरक्षित करने पर लगातार जोर देता रहा है।
– यह प्रकृति के संतुलन के लिए आवश्यक है।

▪जीवों के लुप्त होने का बढ़ा खतरा:-
– कुछ चुनिंदा सफलताओं को छोड़ दिया जाए तो पक्षियों, स्तनधारियों और उभयचरों की बहुत सी प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

=>मनुष्यों के लिए लाभकारी है जैव विविधता:-
– यूएन के महासचिव बान की मून ने कहा कि धरती पर जीवों की रक्षा मनुष्यों के बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी हटाने तथा ऊर्जा, भोजन और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने की दिशा में सहायक है।
– एक अनुमान के मुताबिक अकेले मधुमक्खियों के जरिए होने वाले कीट परागण का मूल्य सालाना 190 अरब डॉलर के लगभग है।

▪जैवविविधता का संरक्षण
– जैवविविधता का संरक्षण और उसका निरंतर उपयोग करना भारत के लोकाचार का एक अंतरंग हिस्सा है। अभूतपूर्व भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं ने मिलकर जीव जंतुओं की इस अद्भुत विविधता में योगदान दिया है जिससे हर स्तर पर अपार जैविक विविधता देखने को मिलती है।
– भारत में दुनिया का केवल 2.4 प्रतिशत भू-भाग है जिसके 7 से 8 प्रतिशत भू-भाग पर विश्व की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। प्रजातियों की संवृधि के मामले में भारत स्तनधारियों में 7वें, पक्षियों में 9वें और सरीसृप में 5वें स्थान पर है। विश्व के 11 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 44 प्रतिशत भू-भाग पर फसलें बोई जाती हैं। भारत के 23.39 प्रतिशत भू-भाग पर पेड़ और जंगल फैले हुए हैं।
– दुनियाभर की 34 चिह्नित जगहों में से भारत में जैवविविधता के तीन हॉटस्पॉट हैं- जैसे हिमालय, भारत बर्मा, श्रीलंका और पश्चिमी घाट। यह वनस्पति और जीव जंतुओं के मामले में बहुत समृद्ध है और जैव विविधता को पालने का कार्य करता है।
– पर्यावरण के अहम मुद्दों में से आज जैवविविधता का संरक्षण एक अहम मुद्दा है विश्व की जैवविविधता को कई कारणों से चुनौती मिलती है। राष्ट्रों, सरकारी एजेंसियों और संगठनों तथा व्यक्तिगत स्तर पर जैविक विविधता के संवंर्धन और उसके संरक्षण की बड़ी चुनौती है साथ-साथ हमें प्राकृतिक संसाधनों से लोगों की जरूरतों को भी पूरा करना होता है। चहूं ओर से जैव विविधता को बचाने का अभियान चलाया गया है। 22 मई दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

=>जैव विविधता अधिनियम, 2002

जैवविविधता अधिनियम, 2002 भारत में जैवविविधता के संरक्षण के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। जो परंपरागत जैविक संसाधनों और ज्ञान के उपयोग से होने वाले लाभों के समान वितरण के लिए एक तंत्र प्रदान करता है। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) की स्थापना 2003 में जैव विविधता अधिनियम, 2002 को लागू करने के लिए की गई थी। एनबीए एक सांविधिक, स्वायत संस्था है। यह संस्था जैविक संसाधनों के साथ-साथ उनके सतत उपयोग से होने वाले लाभ की निष्पक्षता और समान बटवारे जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के लिए सलाहकार और विनियामक की भूमिका निभाती है।

=>जैव विविधता के स्तर

समुद्री जैव विविधता समुद्र और महासागरों में पलने वाले जीवन को दर्शाता है। समुद्री पर्यावरण में 33 वर्णित जंतु संघों में से 32 जंतु संघ पाये जाते हैं। इसलिए इसका स्तर बहुत ऊँचा है। वन जैव विविधता में वन क्षेत्रों में पाये जाने वाले सभी जीव जंतु हैं जो कि पर्यावरण में पारस्थितिक भूमिका निभाते हैं। अनुवांशिक विविधता में एक प्रजाति की अनुवांशिक बनावट और उसकी विशेषताएं शामिल होती हैं। प्रजाति विविधता विभिन्न प्रजातियों की प्रभावी संख्या है जो उनके डॉटा बेस में परिलक्षित होती है प्रजाति विविधता में दो तत्व होते हैं एक प्रजाति समृद्धि और दुसरी प्रजातियों की इवननैस। पारिस्थितिक तंत्र विविधता रहने वाले स्थानों के कई अलग-अलग प्रकारों के बारे में इंगित करती हैं जबकि कृषि जैव विविधता में मिट्टी, जीव, मातम, कीट, परभक्षी और देशी पौधों तथा पशुओं के सभी प्रकार और कृषि से संबंधित सभी प्रासांगिक जीवन के रूप शामिल हैं।

=>बायोस्फीयर और जैव विविधता भंडार

भारत सरकार ने देश भर में 18 बायोस्फीयर भंडार स्थापित किये हैं जो जीव जंतुओं के प्राकृतिक भू-भाग की रक्षा करते हैं और अकसर आर्थिक उपयोगों के लिए स्थापित बफर जोनों के साथ एक या ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य को संरक्षित रखने का काम करते हैं।

=>हॉटस्पॉट (आकर्षण के केन्द्र)

एक जैव विविधता वाला हॉटस्पॉट ऐसा जैविक भौगोलिक क्षेत्र है जिसे मनुष्यों से खतरा रहता है। विश्व भर में ऐसे 25 आकर्षण के केन्द्र हैं

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