*रक्षा खरीद परिषद ने 3687 करोड़ रुपये की हथियार खरीद को मंजूरी प्रदान की*

रक्षा खरीद परिषद ने 3687 करोड़ रुपये के हथियारों की खरीद पर मंजूरी प्रदान की. इन हथियारों में सेना के लिए देश में ही बनी एंटी टैंक नाग मिसाइलें और नौसेना के लिए युद्धपोतों पर इस्तेमाल होने वाली गन्स शामिल हैं.

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने 524 करोड़ की लागत से सेना के लिए 300 नाग एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम की खरीद को अपनी मंजूरी दी. विदित हो कि नाग मिसाइल चार किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के किसी भी टैंक को दिन और रात में निशाना बना सकता है.

मुख्य बिंदु

• इसके साथ ही नौसेना के लिए युद्धपोतों पर तैनाती के लिए 3000 करोड़ की लागत से 127 एमएम कैलिबर गन की खरीद को भी हरी झंडी दी है.

• ये गन्स नये बन रहे जंगी जहाज़ों पर तैनात की जाएंगी. इसका इस्तेमाल ज़मीन पर लक्षित ऑपरेशन्स के लिए किया जा सकेगा.

• 127 एमएम कैलिबर की इन गन्स को अमेरिका की हथियार बनाने वाले कंपनी बीएई सिस्टम्स से खरीदा जाएगा.

• यह गन 24 किलोमीटर की दूरी तक किसी भी लक्ष्य पर निशाना साध कर उसे तबाह कर सकती हैं.

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रक्षा खरीद परिषद

देश की रक्षा एवं सुरक्षा हेतु की जाने वाली खरीद और अधिग्रहण के लिए 11 अक्टूबर 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद की स्थापना की. रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) रक्षा मंत्रालय के तहत एक व्यापक संरचना, रक्षा खरीद योजना प्रक्रिया के समग्र मार्गदर्शन के लिए गठित की गई थी.

डीएसी की संरचना

रक्षा मंत्री: अध्यक्ष, रक्षा राज्य मंत्री: सदस्य, सेना प्रमुख के प्रमुख: सदस्य, नौसेना प्रमुख के प्रमुख: सदस्य, प्रमुख वायु कर्मचारी: सदस्य, रक्षा सचिव: सदस्य, सचिव रक्षा अनुसंधान एवं विकास: सदस्य, सचिव रक्षा उत्पादन: सदस्य

रक्षा खरीद परिषद का उद्देश्य मांग की गई क्षमताओं के संदर्भ में सशस्त्र बलों के अनुमोदित आवश्यकताओं की शीघ्र खरीद, और आवंटित बजटीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करके, निर्धारित समय सीमा को सुनिश्चित करना है.

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