*_06 June 2018(Wednesday)_*

1.प्रोन्नति में फिलहाल मिलेगा आरक्षण
• सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कर्मचारियों की प्रोन्नति में कानून सम्मत आरक्षण देने की अनुमति दे दी है। इससे केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिल गई है, क्योंकि यह मामला पिछले तीन साल से लंबित था। शीर्ष कोर्ट ने प्रोन्नति जारी रखने का आदेश अंतिम फैसला आने तक के लिए दिया है।
• जस्टिस एके गोयल और जस्टिस अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक केंद्र पर कानून के अनुसार प्रमोशन देने पर कोई रोक नहीं है। शीर्ष अदालत मामले में आगे विचार कर अंतिम आदेश देगी।
• पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह और आरक्षण का विरोध कर रहे प्रतिपक्षी वकील शांति भूषण व कुमार परिमल की दलीलें सुनने के बाद उपरोक्त आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की विशेष अनुमति याचिका एक ऐसे ही मामले – जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता के केस के साथ सुनवाई के लिए संलग्न कर दिया है।
• अलग-अलग फैसले : एएसजी ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि आरक्षित श्रेणी को आरक्षित श्रेणी में और अनारक्षित श्रेणी को अनारक्षित श्रेणी में तथा मेरिट के भी आधार पर प्रोन्नति दी जा सकती है।
• मामले पर बहस करते हुए एएसजी ने कहा कि दिल्ली, बांबे और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण पर अलग-अलग फैसले दिए हैं, जिनसे प्रमोशन रुके हुए हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इन फैसलों के खिलाफ दायर अपीलों पर अलग-अलग आदेश जारी किए हैं।
• अवकाशकालीन पीठ क्यों : सरकार का विरोध करते हुए शांति भूषण और कुमार परिमल ने कहा कि एससी-एससटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मुख्य मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है। इतना ही नहीं, मामला संविधान पीठ को भेजते समय कोर्ट ने यह भी कहा था कि अंतरिम आदेश के मुद्दे पर भी संविधान पीठ ही विचार करेगी। ऐसे में दो न्यायाधीशों की अवकाशकालीन इस पीठ को मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
• कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सरकार को कानून के मुताबिक प्रोन्नति देने की इजाजत देते हुए मामले को जनरैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण गुप्ता के केस के साथ सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया।

2. भारत-चीन व्यापार को नौ ट्रेड पास जारी
• भारत-चीन सीमांत स्थलीय व्यापार की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। तीन व्यापारियों और छह सहायकों को ट्रेड पास जारी हो गए हैं। व्यापार की भारतीय मंडी गुंजी में ट्रेड कार्यालय खुल गया है। व्यापारियों का सामान भी गुंजी तक पहुंच चुका है।
• दर्जनों व्यापारी भारतीय मंडी गुंजी में ट्रेड पास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 1भारत-चीन सीमांत स्थलीय व्यापार 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसकी अनुमति भारत सरकार से जिला प्रशासन और धारचूला ट्रेड कार्यालय को मिल चुकी है। व्यापार के लिए विदेश और वाणिज्य मंत्रलय भारत सरकार से 264 ट्रेड पास धारचूला ट्रेड कार्यालय में पहुंच चुके हैं।
• मंगलवार से धारचूला स्थित ट्रेड कार्यालय से पास जारी होने लगे हैं। पहले दिन तीन व्यापारियों और छह सहायकों को ट्रेड पास जारी हो चुके हैं।
• ट्रेड अधिकारी आरके पांडेय ने बताया कि भारत चीन व्यापार में भाग लेने के लिए अभी तक 66 व्यापारियों और 144 सहायकों के ट्रेड पास के लिए आवेदन मिल चुके हैं, जिसमें मंगलवार को पहले दिन नौ पास जारी हो चुके हैं।
• अब प्रत्येक कार्यदिवस पर ट्रेड पास जारी होंगे। गुंजी पहुंचे व्यापारियों को गुंजी कार्यालय से ही ट्रेड पास जारी होंगे।

3. चंद्रमा के पृथ्वी से दूर जाने से लंबे हो रहे हैं दिन
• पृथ्वी पर दिन लंबे हो होते जा रहे हैं। इसकी वजह चांद का पृथ्वी से दूर जाना है। यह बात एक अध्ययन से सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि करीब 1.4 अरब वर्ष पहले दिन केवल 18 घंटे का हुआ करता था।
• प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में हमारे ग्रह से चांद के संबंध के गहरे इतिहास को पुन: स्थापित किया गया है। इसमें देखा गया कि 1.4 अरब वर्ष पहले चंद्रमा पृथ्वी के ज्यादा करीब था और उसने पृथ्वी के अपनी धूरी पर घूमने के तरीके को बदला।
• अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसोन में प्रोफेसर, स्टीफन मेयर्स के मुताबिक, चांद जैसे-जैसे दूर जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी एक स्पिनिंग फिगर स्केटर की तरह व्यवहार कर रही है जो अपनी बाहें फैलाने के दौरान अपनी गति कम कर लेता है।
• सरल शब्दों में कहें तो, पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूर्णन गति कम होती जा रही है, जिसके चलते दिन लंबे हो रहे हैं। मेयर्स के मुताबिक, हमारी एक महत्वाकांक्षा यह बताने की थी कि सबसे प्राचीन भूवैज्ञानिक समय स्कैल को बनाने के लिए समय सबसे अहम हिस्सा है। इसी को आधार बनाकर हमने अध्ययन किया और उपरोक्त निष्कर्ष पर पहुंचे।
• बता दें कि ब्रह्माण्ड में पृथ्वी के घूमने की रफ्तार अन्य ग्रहों से प्रभावित होती है जो उस पर बल डालते हैं। जैसे कि अन्य ग्रह और चंद्रमा। वैज्ञानिकों ने लाखों वषों की अवधि में पृथ्वी की इस गति का अवलोकन किया और इससे वह पृथ्वी तथा चंद्रमा के बीच की दूरी और दिन के घंटों का पता लगा पाए।
• वैज्ञानिकों के मुताबिक, आने वाले समय में भी यही प्रक्रिया जारी रहने की संभावना है। आने वाले वर्षो में या यूं कहें करोड़ों वर्ष बाद पृथ्वी पर दिन 24 घंटे से ज्यादा आने की उम्मीद है।

4. भारत के लिए निर्यात का प्रमुख गंतव्य बना अमेरिका
• भारत के निर्यात के लिए अमेरिका शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा है। पिछले वित्त वर्ष में अमेरिका को कुल 47.9 अरब डालर मूल्य का निर्यात किया गया। उसके बाद क्रमश: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और हांगकांग का स्थान है।वाणिज्य मंत्रालय ने ट्विटर पर दी जानकारी में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 में भारत के लिए अमेरिका शीर्ष निर्यातक बाजार है।
• इस दौरान 47.9 अरब डालर मूल्य का निर्यात किया गया। उसके बाद क्रमश: संयुक्त अरब अमीरात (28.1 अरब डालर) और हांगकांग (14.7 अरब डालर) का स्थान रहा।’ वित्त वर्ष 2016-17 में देश का अमेरिका को निर्यात 42.2 अरब डालर मूल्य का रहा। अन्य प्रमुख गंतव्यों में चीन, सिंगापुर, ब्रिटेन, जर्मनी, बांग्लादेश, वियतनाम और नेपाल शामिल हैं।
• पिछले वित्त वर्ष में शीर्ष 10 निर्यातक उत्पादों में पेट्रोलियम, मोती, मूल्यवान और अर्ध मूल्यवान पत्थर, औषधि, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, कपड़ा तथा चावल का स्थान रहा। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार घरेलू निर्यातकों के लिए अमेरिका हमेशा प्रमुख निर्यात गंतव्य बना रहेगा। भारत के वस्तुओं के कुल निर्यात में उसकी हिस्सेदारी करीब 16 फीसद है।
• इंडियन इंस्टीट्यूट आफ फोरेन ट्रेड के प्रो. राकेश मोहन जोशी ने कहा, ‘‘अमेरिका हमारे लिये बड़ा बाजार है क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमें इस बाजार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह हमारे निर्यात के लिए महत्वपूर्ण गंतव्य आगे भी बना रहेगा।’ वहीं आयात के मामले में भारत के लिए चीन सबसे बड़ा स्रोत रहा।
• वहां से वर्ष 2017-18 में 76.3 अरब डालर मूल्य के सामान आयात किए गए। उसके बाद क्रमश: अमेरिका (26 अरब डालर) और सऊदी अरब (22.1 अरब डालर) का स्थान रहा।
• पिछले वित्त वर्ष में जिन प्रमुख वस्तुओं का आयात किया गया उनमें कच्चा तेल (87.4 अरब डालर), मोती – पत्थर (34.2 अरब डालर) तथा सोना (33.7 अरब डालर) शामिल हैं। वर्ष 2017-18 में निर्यात करीब 10 फीसद बढ़कर 303 अरब डालर रहा।
• पिछले वित्त वर्ष में 47.9 अरब डालर मूल्य का किया गया निर्यातद28.1 अरब डालर के साथ दूसरे स्थान पर रहा संयुक्त अरब अमीरात

5. महासागरों में हर साल फेंका जाता है 80 लाख टन प्लास्टिक
• विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर दुनियाभर में प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर र्चचा छिड़ गई है। वियतनाम में एक समुद्री पेड़ का पूरी तरह पॉलिथीन से लिपटा पाया जाना, थाईलैंड के एक समुद्र में प्लास्टिक बैग निगलने के कारण व्हेल मछली का मर जाना और इंडोनेशिया के ‘‘पैराडाइज’ द्वीपसमूहों के पास पानी में कूड़े का अंबार मिलना, प्लास्टिक संकट की एक डरावनी तस्वीर पेश करता है जो एशिया को अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
• दुनिया भर के महासागरों में हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक फेंका जाता है यानि हर दिन और हर मिनट एक ट्रक कूड़ा (प्लास्टिक) समुद्र में फेंका जाता है। महासागर संरक्षण को लेकर 2015 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से आधे से ज्यादा कूड़ा एशिया के पांच देशों – चीन , इंडोनेशिया, फिलीपीन , थाईलैंड और वियतनाम से आता है।
• ये सभी देश एशिया की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं जहां प्लास्टिक का उत्पादन , खपत और निस्तारण बड़ी मात्रा में होता है। ज्यादातर देशों में इसका निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जाता।
• इंडोनेशिया में ग्रीनपीस के अभियानकर्ता अहमद अशोव बरीदी ने कहा, ‘‘हम प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के संकट की गिरफ्त में हैं, हम इसे हर जगह हमारी नदियों , हमारे महासागरों में देख सकते हैं . हमें इस संबंध में कुछ करना होगा।’
• विशेषज्ञों ने प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर और भी गंभीर खतरों का अंदेशा जताया है जो दिखाई नहीं दे रहे। माइक्रोप्लास्टिक नल के पानी में , भू – जल में और मछलियों के अंदर भी पाए गए हैं जिसे एशियाई लोग हर दिन खाते हैं। इस बार के पर्यावरण दिवस की थीम प्लास्टिक प्रदूषकों से निपटने पर आधारित है।

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