15 Oct current affairs
.भारतीयों के जीन को अनुक्रमित करने हेतु मिशन_*
भारत एक प्रमुख मिशन की योजना बना रहा है, जिसके अंतर्गत भारतीयों के “बड़े” समूह के जीनों को अनुक्रमित किया जाएगा।
इस परियोजना में भारतीयों के “बड़े” समूह के जीनों को अनुक्रमित करने हेतु भारत समेत विभिन्न देश भी शामिल हैं, इनमें यूनाइटेड किंगडम, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया में भी समान परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
इसका उपयोग स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ ‘व्यक्तिगत दवा’ डिजाइन करने की वैश्विक प्रवृत्ति को कम करने के लिए भी किया जाएगा।
इस परियोजना से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और जैव प्रौद्योगिकी विभाग निकटस्थता से संबद्ध हैं।
अब भारत, इस प्रकार की उपलब्धि हासिल करने वाले छह देशों में से एक है।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है।
यह भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास संगठन है।
यह मुख्य रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है और यह सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के माध्यम से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत है।
वर्ष 2009 में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने घोषणा की थी कि उसने एक भारतीय के जीनोम को अनुक्रमित किया है।
जीन के संदर्भ में जानकारी-
एक जीन, डीएनए का एक भाग है जो कार्यों को इन्कोड करता है।
गुणसूत्र, डी.एन.ए. की लंबी श्रृंखला से मिलकर बनता है जिसमें कई जीन होते हैं।
एक मानव गुणसूत्र में डी.एन.ए. के 500 मिलियन आधारिक जोड़े होते हैं जिसमें हजारों जीन होते हैं।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 3 – विज्ञान एवं तकनीकि
स्रोत- द हिंदू
*_2 राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण_*
अब तक का भारत का पहला राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण 24 राज्यों के 55 जिलों में और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में जनवरी 2019 से शुरू किया जाएगा।
राष्ट्रीय पर्यावरण सर्वेक्षण, पर्यावरण मंत्रालय की वर्तमान में जारी पर्यावरणीय सूचना प्रणाली योजना के अंतर्गत प्रस्तावित किया जाता है।
यह पहली बार सभी प्रकार की मक्खियों (ग्रीन हेड्स) पर प्राथमिक डाटा प्रदान कर रहा है, समान प्रकार से राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एन.एस.एस.) समय-समय पर विभिन्न प्रकार के सामाजिक आर्थिक डाटा एकत्र करता है।
यह सर्वेक्षण गिड आधारित दृष्टिकोण के द्वारा पूर्ण किया जाएगा, इस सर्वेक्षण में 9x 9 कि.मी. की ग्रिड का प्रयोग किया जाएगा।
यह वायु, पानी, मिट्टी की गुणवत्ता, उत्सर्जन सूची, ठोस और खतरनाक ई-अपशिष्ट, वन और वन्यजीवन, वनस्पति एवं जानवर, झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों जैसे विभिन्न पर्यावरणीय मानकों पर व्यापक डेटा एकत्र करता है।
यह पूरे देश के सभी जिलों की कार्बन अनुक्रमण क्षमता का आकलन करने में भी मदद करेगा।
एन.ई.एस. सभी जिलों को उनके पर्यावरण प्रदर्शन के आधार पर स्थान प्रदान करेगा और उनकी सर्वोत्तम हरित तस्वीरों को संलेखित करेगा।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 3 – पर्यावरण
स्रोत- द हिंदू
*_3.इसरो, जम्मू विश्वविद्यालय में केंद्र स्थापित करेगा।_*
इसरो, भारत के उत्तरी राज्यों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने हेतु जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय (सी.यू.जे.) में सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र स्थापित करेगा।
इस केंद्र में भू-स्थानिक डेटा विश्लेषण की सुविधा होगी जो प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और भूमि उपयोग के प्रारूप को निर्धारित करने में मदद करेगी।
यह वायुमंडलीय अध्ययन के लिए जमीन-आधारित अवलोकनों में मदद करेगा और खगोल भौतिकी के लिए शोध प्रयोगशाला में मदद करेगा।
यह उत्तर भारत की नदियों में मौसमी बर्फ, बर्फ और हिमनद के रूप में बड़ी मात्रा में भरे पानी के बेहतर उपयोग हेतु वायुमंडलीय सेंसिंग और हिमनद अध्ययन प्रयोगशाला भी प्रदान करता है।
यह जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था और मानव जीवन को विकसित करने में मदद करेगा जो वानस्पतिक क्षेत्र, वन क्षेत्र, बर्फ, भूस्खलन, हिस्खलन, भूमिगत जल, बादल क्षेत्रों से प्रभावित हैं, जिनकी रिमोट-सेंसिंग के माध्यम से अंतरिक्ष से निगरानी की जा सकती है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 – विज्ञान एवं तकनीकि
स्रोत- ए.आई.आर.
*_4.अधिकतम वोट प्राप्त करने वाले भारत को यू.एन.एच.आर.सी. के लिए चुना गया।_*
भारत को सभी उम्मीदवारों में अधिकतम वोट प्राप्त हुए, भारत को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए चुना गया है।
भारत को 188 वोट मिले, फिजी को 187 और बांग्लादेश को 178 वोट मिले।
भारत को इसके पहले वर्ष 2011-2014 और वर्ष 2014-2017 के लिए जिनेवा आधारित मानवाधिकार परिषद के लिए चुना गया था।
यू.एन.एच.आर.सी. के संदर्भ में जानकारी-
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कमीशन के स्थान पर यू.एन.एच.आर.सी. की स्थापना की गई थी।
यू.एन.एच.आर.सी. का उद्देश्य पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का प्रोत्साहन और संरक्षण करना है।
यू.एन.एच.आर.सी. में क्षेत्रीय समूह के आधार पर तीन वर्ष के लिए 47 सदस्य चुने गए हैं।
यू.एन.एच.आर.सी. का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है।
कार्य:
यू.एन.एच.आर.सी. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में मानवाधिकारों के उल्लंघनों के आरोपों की जांच करता है।
यह संघ और सभा की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विश्वास एवं धर्म की स्वतंत्रता, महिलाओं के अधिकार, एल.जी.बी.टी. अधिकार और नस्लीय एवं जातीय अल्पसंख्यकों जैसे महत्वपूर्ण विषयगत मानवाधिकार मुद्दों को संबोधित करता है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 – महत्वूपर्ण संगठन
स्रोत-पी.आई.बी.
*_5.मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018_*
हाल ही में लोकसभा में मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2018 पेश किया गया था।
यह विधेयक मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 को संशोधित करता है।
यह विधेयक वह व्यक्ति पेश कर सकता है जो अध्यक्ष हो, वह व्यक्ति जो भारत का मुख्य न्यायाधीश अथवा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हो।
यह अधिनियम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.), राज्य मानवाधिकार आयोग (एस.एच.आर.सी.) के साथ मानवाधिकार न्यायालयों के लिए भी प्रदान किया गया है।
संबंधित जानकारी
संरचना – अब, एन.एच.आर.सी. का अध्यक्ष वह व्यक्ति होना चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रहा है।
समान प्रकार से एस.एच.आर.सी. का अध्यक्ष वह व्यक्ति होना चाहिए जो व्यक्ति उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रहा हो।
यह अधिनियम एन.एच.आर.सी. के सदस्यों के रूप में नियुक्त किए जाने वाले मानवाधिकारों का ज्ञान रखने वाले दो व्यक्तियों के द्वारा पेश किया जाता है।
विधेयक इसमें संशोधन करता है कि तीन सदस्यों को नियुक्त करने की अनुमति दी जाए जिसमें कम से कम एक महिला सदस्य हो।
इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के राष्ट्रीय आयोग जैसे विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष एन.एच.आर.सी. के सदस्य है।
इस विधेयक ने इसे पिछड़े वर्ग, बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोगों और विकलांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त हेतु इसका प्रसार किया है।
कार्यालय की अवधि – वर्तमान में एन.एच.आर.सी. और एस.एच.आर.सी. के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का अथवा 70 वर्ष तक की आयु का है, इनमें जो पहले संभव हो।
यह विधेयक, एन.एच.आर.सी. और एस.एच.आर.सी. के अध्यक्षों की पुनर्नियुक्ति के लिए अनुमति प्रदान करता है।
शक्तियां – वर्तमान में एन.एच.आर.सी. के महासचिव और एस.एच.आर.सी. के सचिव स्वयं को सौंपी गई शक्तियों का प्रयोग करते हैं।
केंद्रशासित प्रदेश – यह विधेयक केंद्र सरकार को केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा खारिज किए गए मानवाधिकारों के निर्वहन हेतु एस.एच.आर.सी. पर संभाषण करने हेतु प्रदान किया गया है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 – गवर्नैंस
स्रोत- द हिंदू
*_6.इलेक्ट्रॉनिक्स 2018 पर राष्ट्रीय नीति_*
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम.ई.आई.टी.वाई.) ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम की डिजायनिंग और विनिर्माण क्षेत्र (ई.एस.डी.एम.) के लिए ‘इलेक्ट्रॉनिक्स 2018’ (एन.पी.ई. 2018) पर राष्ट्रीय नीति ड्राफ्ट जारी किया है।
यह नीति देश में प्रोत्साहित आर्थिक विकास के लिए ई.एस.डी.एम. क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद करती है।
यह उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2019 में 500 मिलियन यूनिट के मोबाइल उत्पादन को वर्ष 2025 तक 1 बिलियन यूनिट करके दोगुना करने में मदद करती है।
इसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक $ 400 बिलियन डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग को स्थापित करना है, इसमें मोबाइल फोनों के भागों के उत्पादन भी शामिल है जो कि कुल उत्पादन का तीन-चौथाई हैं।
यह मोडिफाइड स्पेशल इंसेटिव पैकेज योजना (एम-एस.आई.पी.एस.) जैसी मौजूदा इंसेंटिव योजनाओं को प्रतिस्थापित करती है, ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट डिफ़ॉल्ट गारंटी इत्यादि जैसी योजनाओं को लागू करती है जिन्हें लागू करना आसान हो।
यह नई इकाइयों को प्रोत्साहित करने और वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में मौजूद इकाइयों के विस्तार को बढ़ावा प्रदान करने हेतु ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट डिफ़ॉल्ट गारंटी योजना को भी विश्लेषण के अंतर्गत रखा है।
कर लाभ: यह नई विनिर्माण इकाई की स्थापना या मौजूदा इकाई के विस्तार के लिए आयकर (आई.टी.), इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए आयकर (आई.टी.) अधिनियम के अंतर्गत परस्पर निवेश से संबंधित कटौती सहित उपयुक्त प्रत्यक्ष कर लाभ को प्रस्तावित करती है।
यह इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के कुछ महत्वपूर्ण उप-क्षेत्रों जैसे सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन और डिस्प्ले फैब्रिकेशन इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए चुनिंदा इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद संसाधनों पर कर का प्रस्ताव दिया है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 – गवर्नैंस
स्रोत- द हिंदू
*_7.भारत को 20 वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 79 .5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट_*
संयुक्त राष्ट्र ने ‘आर्थिक नुकसान, गरीबी और आपदाएं 1998-2017’ नामक एक रिपोर्ट जारी की है।
यह रिपोर्ट आपदा जोखिम में कमी हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा संकलित की गई थी।
पिछले 20 वर्षों में जलवायु से संबंधित आपदाओं कारण भारत को 79 .5 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
यह रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था पर खतरनाक मौसमी घटनाओं के प्रभाव पर प्रकाश डालती है।
यह रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 1998 से 2017 के बीच के वर्षों में जलवायु से संबंधित आपदाओं के कारण प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान में 151% की बड़ी वृद्धि हुई है।
वर्ष 1998 से 2017 के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आपदाओं के प्रभाव के संदर्भ में प्रभावित देशों ने 908 ट्रिलियन डॉलर के प्रत्यक्ष घाटे की जानकारी प्रदान की है, जो कि पिछले दो दशकों में हुए नुकसान के दो गुने से अधिक है।
तूफान, बाढ़ और भूकंप के कारण आर्थिक नुकसान के मामलें में शीर्ष दस देशों की सूची में तीन यूरोपीय देश शामिल हैं।
संबंधित जानकारी
इस रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि जलवायु परिवर्तन, खतरनाक मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है।
आपदाएं, सतत विकास के मार्ग में तब तक बाधा बनी रहेंगी जब तक संभावित आपदा जोखिमों पर ध्यान देते हुए आपदा बाहुल्य क्षेत्रों में निर्माण और विकास हेतु आर्थिक प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती रहेगी।
आर्थिक नुकसानों का आकलन करने से आपदा जोखिम में कमी हेतु सेंडई फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकारें और अधिक प्रयास करने हेतु प्रोत्साहित होंगी, जिसके अनुसार वर्ष 2030 तक आपदा नुकसानों में भारी कमी करने की आवश्यक्ता है।
निवेश निर्णय में समाकलित आपदा जोखिम में कमी करना, इन जोखिमों को कम करने का सबसे अधिक लागत-प्रभावी तरीका है।
आपदा जोखिम में कमी हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के संदर्भ में जानकारी
इसे 1999 में आपदा न्यूनीकरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय रणनीति के कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित सचिवालय के रूप में स्थापित किया गया था।
यह संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक संगठनात्मक इकाई है और इसका नेतृत्व आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए महासचिव के संयुक्त राष्ट्र विशेष प्रतिनिधि (एस.आर.एस.जी.) के द्वारा किया जाता है।
इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 3 –पर्यावरण
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
*_8.बैंगलूरू में पहला भारत-इज़राइल नवीनीकरण केंद्र खोला गया है।_*
देश का पहला भारत-इज़राइल नवीनीकरण केंद्र (आई.आई.आई.सी.), एक उद्यमी प्रौद्योगिकी केंद्र बेंगलुरु में खोला गया है।
भारत में इजरायली कंपनियों के प्रवेश की सुविधा के लिए आई.आई.आई.सी. एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसका उद्देश्य दोनों देशों की कंपनियों के बीच स्थानीय साझेदारी और संयुक्त उद्दम स्थापित करना है।
यह उद्यमिता, विक्रेताओं के साथ साझेदारी, परामर्श और गैर आधिकारिक सामुदायिक विकास का समर्थन करने हेतु एक पारिस्थिकी तंत्र प्रदान करता है।
आई.आई.आई.सी. विभिन्न कार्यक्षेत्रों और व्यापारों, प्रौद्योगिकी, निवेशकों और ग्राहकों के क्षेत्र में कंपनी की प्रगति को बढ़ाने में मदद करता है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध
स्रोत- व्यापार मानक
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