_1.प्रधानमंत्री मोदी को 2018 सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।_*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सियोल शांति पुरस्कार 2018 से सम्मानित किया गया है।
सियोल शांति पुरस्कार समिति के अनुसार, प्रधानमंत्री को इस पुरस्कार से उनके निम्नलिखित योगदानों के लिए सम्मानित किया गया है जो भारत में भविष्य के लोकतंत्र को विकसित करने में मदद करेंगे।
भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति में प्रधानमंत्री मोदी का योगदान हैं जिसमें अमीरों और गरीबों के मध्य सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने के लिए ‘मोडिनॉमिक्स’ को श्रेय देना शामिल है।
भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और विमुद्रीकरण के माध्यम से सरकार को स्वच्छ बनाने की उनकी पहल के लिए भी पुरस्कृत किया गया है।
‘मोदी सिद्धांत’ और ‘पूर्वी नीति अधिनियम’ के अंतर्गत विश्व भर के देशों के साथ एक सक्रिय विदेशी नीति के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के प्रति उनके योगदान हेतु प्रधानमंत्री को सम्मानित किया गया है।
संबंधित जानकारी
सियोल शांति पुरस्कार
सियोल शांति पुरस्कार की स्थापना 1990 में की गई थी, इस पुरस्कार की स्थापना सियोल, कोरिया गणराज्य में 24वें ओलंपिक खेलों के सफलतापूर्वक आयोजन का जश्न मनाने के उपलक्ष्य में की गई थी।
सियोल शांति पुरस्कार की स्थापना, कोरियाई प्रायद्वीप और शेष विश्व में शांति के प्रति कोरियाई लोगों की उत्सुकता को स्पष्ट करने हेतु की गई थी।
यह पुरस्कार उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने मानवता की समरसता के प्रति, राष्ट्रो के मध्य संधि कराने और विश्व में शांति के क्षेत्र में योगदान देकर पहचान बनायी हो।
नोट:
प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र महासभा सचिव एंटोनियों गुटेरेस के द्वारा संयुक्त राष्ट्र का सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण सम्मान ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया है।
उन्हें यह पुरस्कार भारत में वर्ष 2022 तक सभी प्रकार की प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के प्रति ली गई अद्वितीय प्रतिज्ञा हेतु प्रदान किया गया है।
टॉपिक- जी. एस. पेपर 2 – महत्वपूर्ण संस्थान
स्रोत-पी.आई.बी.
*_2.आजादी के 57 साल बाद गोवा को पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867 का अंग्रेजी अनुवाद प्राप्त हुआ है।_*
गोवा में पालन की जाने वाले पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867 का अंग्रेजी अनुवाद अब आधिकारिक राजपत्रों में उपलब्ध है।
आधिकारिक राजपत्र ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के मार्च 2017 के आदेश का पालन करते हुए संहिता के अनुवादित संस्करण को ऑनलाइन प्रकाशित किया है।
कारण क्या थे?
गोवा को पुर्तगालियों से लगभग 57 वर्ष पहले आजादी मिल गई थी लेकिन पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867 अभी तक पालन की जा रही थी।
पुर्तगाली नागरिक संहिता, 1867 के कारण गोवा देश का एकमात्र ऐसा राज्य था जहां पर एकसमान नागरिक संहिता थी जिसके अंतर्गत राज्य में सभी धर्मों के लोगों के विवाह, तलाक और उत्तराधिकार पर बनाए कानूनों का सामाजिक शांति को सुनिश्चित करते हुए समान न्यायपीठ पर अभ्यास किया जाता था।
आजादी से पहले गोवा की अदालतों में वकालत करने वाले वकील अपने द्वारा अनुवादित और व्याख्यित की गई पुर्तगाली नागरिक संहिता को निरंतर रूप से अदालत में पेश करते रहे जिससे अदालतों में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई।
अदालत में परिषद और न्यायाधीश भाषा में निपुण नहीं थे अत: उन्हें वकीलों के संहिता के संस्करणों का पर भरोसा करना पड़ता था।
संबंधित जानकारी
अनुच्छेद 348 के अनुसार, “सर्वोच्च न्यायालय में, उच्च न्यायालयों में और अधिनियमों, बिलों आदि के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा अंग्रेजी होगी।”
टॉपिक- जी. एस. पेपर 2 – गवर्नैंस
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
*_3.इंजेक्शन योग्य जेल टाइप 1 मधुमेह के लिए आइसलेट कोशिकाओं को वितरित कर सकता है: अध्ययन_*
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने इंजेक्शन योग्य जेल की खोज की है जो रेशम प्रोटीनों का उपयोग करता हुआ टाइप 1 मधुमेह को ठीक करने के लिए आवश्यक इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को वितरित करता है।
पिछले अध्ययनों में सुझाव दिया गया था कि हाइड्रोजेल में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं (आइसलेट) को वितरित करने की क्षमता होती क्यों कि उनमें जल सामग्री की मात्रा अधिक होती है और कोशिकीय मैट्रिक्स की नकली हाइड्रोफीलिक सामग्री उपस्थित होती है।
इसके निर्माण की अनुमति नहीं प्रदान की गई है क्यों कि इन जेलों को बनाने में कठोर रसायनों का प्रयोग करने से से कोशिका अथवा जैवसक्रिय अणुओं को वितरित करने में यह अनुपयुक्त साबित होते हैं।
इस समस्या का समाधान करने के लिए शोधकर्ताओं ने दो रेशम प्रोटीनों के मिश्रण (शहतूत बॉम्बिक्समोरी और गैर-शहतूत एंथेराइआसामा) का प्रयोग किया जिसके कारण वह स्वयं जम गया। इंसुलिन का उत्पादन करने वाली आइसलेट कोशिकाओं को चूहों से प्राप्त किया जाता है और एक हाइड्रोजेल में बंद करके रखा जाता है।
प्रतिरक्षा अस्वीकृति को रोकने के लिए हाइड्रोजेल में प्रतिरक्षादमनकारी दवाएं मिलाई जाती हैं।
फिर इसे चूहों की त्वचा के निचले स्तर पर इंजेक्शन के द्वारा पहॅुचाया जाता है।
संबंधित जानकारी
आइसलेट कोशिकाएं
अग्न्याशय में आइसलेट, कोशिकीय मैट्रिक्स के द्वारा घिरी रहती हैं जो कोशिकाओं को संरचनात्मक और जैवरासायनिक समर्थन प्रदान करती है।
इस मैट्रिक्स के घटक आइसलेट सतह पर ट्रांसमेम्ब्रेन प्रोटीन से बंधे रहते हैं, ये कोशिका संचार, प्रसार और इंसुलिन स्राव की सुविधाएं कोशिका को प्रदान करते हैं।
टाइप 1 मधुमेह
मधुमेह मेलिटस टाइप 1, जिसे टाइप 1 मधुमेह के नाम से भी जाना है, यह मधुमेह मेलिटस का वह रूप है जिसमें अग्न्याशय के द्वारा बहुत कम अथवा न के बराबर इंसुलिन का स्राव होता है।
इसके सामान्य लक्षण बार-बार पेशाब जाना, अधिक प्यास लगना, अधिक भूख लगना और वजन घटना हैं।
इसके अन्य लक्षणों में धुधला दिखाई देना, थकावट महसूस होना और देर से उपचार का असर होना हैं।
टॉपिक- जी. एस. पेपर – विज्ञान एवं तकनीकि
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
*_4. भित्तियों का तीसरा दशकीय अंतर्राष्ट्रीय वर्ष-2018_*
प्रवाल भित्तियों की स्थिति और संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (एस.टी.ए.पी.सी.ओ.आर. – 2018) का उद्घाटन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बंगाराम द्वीप पर किया गया था।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की थीम ‘जीवन हेतु भित्तियां’ है।
लक्षद्वीप, प्रवाल भित्तियों पर वैज्ञानिक शोध के लिए विश्वस्तरीय ढांचे के साथ अंतर्राट्रीय ऐटॉल अनुसंधान केंद्र की स्थापना करेगा।
संबंधित जानकारी
प्रवाल भित्तियों की स्थिति और संरक्षण (एस.टी.ए.पी.सी.ओ.आर.)
एस.टी.ए.पी.सी.ओ.आर. की स्थापना जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का अध्ययन करने हेतु की गई है, प्रवाल क्षेत्रों पर ग्लोबल वार्मिंग के साथ अलनीनो के प्रभाव के कारण वर्ष 1998 दौरान अंतर्राट्रीय स्तर पर भारी विरंजन हुआ था।
पूरे विश्व में प्रवाल भित्तियों की स्थिति और प्रगति की समीक्षा करने हेतु प्रत्येक 10 वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
प्रवाल भित्तियां
प्रवाल भित्ति, भमिगत जल में रहने वाला एक पारिस्थिकी तंत्र है जिसकी विशेषता भित्ति निर्माण प्रवाल बनाना है।
भिात्तियों का निर्माण प्रवाल जंतुओं की कॉलोनियों के एक साथ कैल्शियम कार्बोनेट द्वारा बंधने से होता है।
अधिकांश प्रवाल भित्तियां, पथरीली प्रवालों से मिलकर बनी होती हैं जिनके जंतुओं के गुच्छे समूह में होते हैं।
प्रवाल भित्ति संरचनाओं के प्रकार
फ्रिंजिंग भित्तियां
ये द्वीपों और महाद्वीपों के आस-पास के तट के नजदीक उगती हैं।
वे तट के किनारे से संकीर्ण, उथली खाडि़यों के द्वारा अलग हो जाती हैं।
फ्रिंजिंग भित्तियां, भित्तियों का एक सबसे सामान्य प्रकार हैं।
अवरोध भित्तियां
ये समुद्र तट के समानांतर होती हैं लेकिन गहरी, व्यापक खाडि़यों द्वारा अलग होती हैं।
अपने सबसे छिछले बिंदु पर वे नेविगेश हेतु एक अवरोध का निर्माण करती हुईं पानी की सतह तक पहॅुंचती हैं।
ऑस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर भित्ति, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध अवरोध भित्तियों में से एक है।
ऐटॉल
ये प्रवाल के छल्ले हैं जो संरक्षित खाडि़यों का निर्माण करते हैं और ये सामान्यत: समुद्र के मध्य में स्थित होते हैं।
एटोल, सामान्यत: तब बनते हैं जब फ्रीजिंग भित्तियों से घिरे हुए द्वीप समुद्र में डूब जाते हैं अथवा समुद्र का स्तर उनसे ऊपर उठ जाता है (ये द्वीप सामान्यत: भूमिगत ज्वालामुखियों के शीर्ष होते हैं)।
टॉपिक- जी. एस. पेपर 3 – पर्यावरण
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
*_5.”इंवेस्ट इंडिया” ने अक्षय ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देने के लिए शीर्ष संयुक्त राष्ट्र पुरस्कार जीता है।_*
इंवेस्ट इंडिया को शीर्ष संयुक्त राष्ट्र निवेश संवर्धन पुरस्कार प्रदान किया गया है, यह पुरस्कार भारत को भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए उसके प्रयासों हेतु प्रदान किया गया है।
यह पुरस्कार जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यू.एन.सी.टी.ए.डी.) द्वारा आयोजित विश्व निवेश मंच के उद्घाटन के अवसर पर प्रदान किया गया था।
इंवेस्ट इंडिया को यह पुरस्कार “स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और 1 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने के दौरान भारत में एक ब्लेड विनिर्माण संयंत्र की स्थापना में एक प्रमुख वैश्विक पवन चक्की कंपनी की सेवा और समर्थन करने में उत्कृष्टता हेतु प्रदान किया गया है।
इस परियोजना के संचालित होने से भारत की पवन ऊर्जा लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है।”
संबंधित जानकारी
इंवेस्ट इंडिया
इंवेस्ट इंडिया की स्थापना भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी उद्यम के रूप में की गई है।
इंवेस्ट इंडिया, भारत में सतत निवेश को सक्षम करने के लिए क्षेत्रीय-विशिष्ट निवेशक लक्ष्यीकरण और नई साझेदारियों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
पुरस्कार के संदर्भ में जानकारी
यह पुरस्कार “उन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने में उत्कृष्टता की पहचान करता हैं जिनके सामाजिक और आर्थिक लाभ होंगे और जो देशों की सतत विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को पूरा करने में मदद करेंगे।
यू.एन.सी.टी.ए.डी.
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (यू.एन.सी.टी.ए.डी.) की स्थापना 1964 में एक स्थायी अंतर सरकारी निकाय के रूप में की गई थी।
यू.एन.सी.टी.ए.डी., संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का एक भाग है जो व्यापार, निवेश और विकास के मुद्दों से निपटने में मदद करता है।
संगठन के लक्ष्य: “विकासशील देशों के व्यापार, निवेश और विकास के अवसरों को अधिकतम करना है और विश्व अर्थव्यवस्था में एक समान आधार पर उनके प्रयासों को एकीकृत करने में उनकी सहायता करना हैं।
यू.एन.सी.टी.ए.डी. की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1964 में की गई थी और यह संयुक्त राष्ट्र महासभा, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को रिपोर्ट करती है।
यू.एन.सी.टी.ए.डी. का स्थायी सचिवालय जिनेवा में स्थित है।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 2 –महत्वपूर्ण संस्थान
स्रोत- इकोनॉमिक टाइम्स
*_6.जेल सुधार_*
सर्वोच्च न्यायालय ने जेल सुधारों पर एक समिति बनाई है जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अमितव राय के द्वारा की जाएगी।
समिति, जेल प्रणाली में सुधारों के संपूर्ण विस्तार की गहराई से जांच करेगी जो भारत में 100 वर्षों से भी पुरानी जेल प्रणाली है।
अन्य समितियां है, जो न्यायमूर्ति ए.एन. मुल्ला समिति और न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर समिति हैं। ये दोनो समितियां महिला जेलों पर (दोनों 1980 में) बनाई गयी थीं।
टॉपिक- जी. एस. पेपर 2 – सामाजिक सशक्तिकरण
स्रोत- द हिंदू
*_7.रूस और पाकिस्तान के मध्य “ड्रुज़भा -3” संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू हुआ है।_*
यह पाकिस्तान और रूस के मध्य संयुक्त द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का तीसरा संस्करण है।
दोनों सेनाएं, उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के पहाड़ों में संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगी।
टॉपिक- जी.एस. पेपर 3 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध
स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया
*_8.जलवायु की तन्यता को बढ़ावा प्रदान के लिए भारत के तटीय समुदायों को 43 मिलियन अमरीकी डालर मिलेंगे।_*
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में भारत के तटीय समुदायों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए जलवायु तन्यता को बढ़ाने हेतु 43.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर की संयुक्त राष्ट्र निधि को स्वीकृति प्रदान की गई है, यह निधि इन्हें जलवायु परिवर्तन के चरम प्रभावों का सामना करने में इनके प्रयासों के भाग के रूप में प्रदान की गई है।
यह अनुदान, 19 नई परियोजनाओं के लिए हरित जलवायु निधि द्वारा अनुमोदित किए गए 1 बिलियन अमरीकी डालर से भी निधि का हिस्सा है जो विकासशील देशों की जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगा।
नई परियोजना को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) द्वारा समर्थन प्रदान किया जाएगा।
पेरिस समझौते में उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने और सतत विकास मुद्दा 2030 के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु यह भारत के लिए एक आवश्यक कदम है।
हरित जलवायु निधि (जी.सी.एफ.) बोर्ड की 21वीं बैठक बहरीन की राजधानी मनामा में आयोजित की गई थी। इस बैठक में एक बिलियन डॉलर से अधिक की नयी परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई थी और विकासशील देशों में जलवायु कार्यवाहियों को समर्थन प्रदान करने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था।
संबंधित जानकारी
यह परियोजना महिलाओं, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों, युवाओं और बुजुर्गों और अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सदस्यों का वास्तविक लाभ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
यह लैंगिक समानता और असमानताओं को कम करने हेतु सतत विकास लक्ष्यों में भी योगदान देती है।
भारत के तटीय क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील हैं और यह परियोजना चुनिंदा संवेदनशील क्षेत्रों जैसे: आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
चक्रवात और खाराब मौसम की आवृत्ति एवं तीव्रता के साथ बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति संवेदनशील की भविष्यवाणी करते हैं।
भारत सरकार, हरित जलवायु निधि के उचित क्रियान्वन एवं उसे तेज करने हेतु नई परियोजना के लिए 86.8 मिलियन अमरीकी डालर का अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान करेगी।
वर्ष 2030 के एजेंडा में भूमि पर और पानी के नीचे जीवन की रक्षा करने काउद्देश्य उल्लिखित है।
ये परियोजना गतिविधियां 15,000 हेक्टेयर सदाबहार, प्रवाल भित्तियां, समुद्री शैवाल साल्टमार्शेस की मरममत और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
यह बहु-आयामी परियोजना, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगी -पारिस्थितिक तंत्र के माध्यम से 3.5 मिलियन टन से भी अधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस को अवशोषित हो जाएगी।
टॉपिक- जी. एस. पेपर 3 – पर्यावरण
स्रोत- द हिंदू
*_9.चीन ने हांगकांग- मकाऊ-झुहाई को जोड़ने वाले दुनिया के सबसे लंबे समुद्री पुल का अनावरण किया है।_*
यह पुल हांगकांग को मकाऊ और मुख्य चीनी शहर झुहाई से जोड़ता है।
इसकी कुल लंबाई का लगभग 30 कि.मी. हिस्सा पर्ल नदी डेल्टा के समुद्र को पार करता है।
भूकंप और टाइफून का सामना कर सकने में सक्षमता प्रदान करने के अनुसार इस पुल को डिजाइन किया गया है, इस पुल का निर्माण करने में 400,000 टन स्टील का उपयोग किया गया है, इतनी मात्रा की स्टील से 60 एफिल टॉवर बनाए जा सकते हैं।
टॉपिक-प्रारंभिक परीक्षा के महत्वूपर्ण तथ्य
स्रोत- ए.आई.आर.