=>ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 30 पायदान सुधरी
– वर्ल्डबैंक की ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ रैंकिंग में भारत ने लंबी छलांग लगाई है। वर्ल्ड बैंक ने 190 देशों में भारत को 100वें स्थान पर रखा है।
– पिछले साल भारत 130वें पायदान पर था। किसी भी बड़ी इकोनॉमी की रैंकिंग में इतना बड़ा उछाल पहले कभी नहीं आया। भारत पहली बार शीर्ष 100 देशों में शुमार हुआ है।
=>रैंकिंग में सुधार के कारण :-
– रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स, लाइसेंसिंग, इन्वेस्टर की सुरक्षा और बैंकरप्सी जैसे कानूनों में सुधार के कारण हालात काफी बेहतर हुए हैं।
– हालांकि वर्ल्ड बैंक ने साफ किया है कि इस रिपोर्ट में नोटबंदी और जीएसटी के असर को शामिल नहीं किया गया है।
– वर्ल्ड बैंक के अनुसार 10 मानकों में से 8 में सुधार हुआ है। अब नया बिजनेस शुरू करने में सिर्फ 30 दिन लगते हैं, जबकि 15 साल पहले 127 दिन लगते थे। लेकिन कोर्ट में सुनवाई काफी धीमी होती है।
– प्रॉपर्टी खरीदना और इसका रजिस्ट्रेशन भी आसान बनाने की जरूरत है। उद्यमियों के लिए नौकरशाही कम करने, पैसे का लेन-देन आसान और कम खर्चीला बनाने की अब भी गुंजाइश है।
– वर्ल्ड बैंक 15 साल से यह रैंकिंग कर रहा है। अभी तक जॉर्जिया और रवांडा जैसे छोटे देशों की रैंकिंग में ही एक बार में इतना बड़ा सुधार आया है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ऐसा करने वाला भारत पहला देश है.
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=>न्यूजीलैंड पहले और सिंगापुर दूसरे स्थान पर
न्यूजीलैंड, सिंगापुर, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, अमेरिका, इंग्लैंड, नॉर्वे, जॉर्जिया और स्वीडन टॉप-10 देश है। ब्रिक्स देशों में रूस 40वें से 35वें और ब्राजील 123वे से 125वें स्थान पर आया है। चीन 78वें स्थान पर कायम है। पाकिस्तान पिछले साल 143वें स्थान पर था, इस बार 147वें पर है।
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इन 8 मानकों पर स्थिति बेहतर हुई :-
1.बिजनेस शुरू करना :-
-पैन और टैन के आवेदन को मिलाकर एक किया गया। ऑनलाइन एप्लिकेशन सिस्टम में सुधार।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 156 है। बिजनेस शुरू करने में अब भी 30 दिन लगते हैं। 12 तरह के प्रोसीजर का पालन करना पड़ता है।
2.कंस्ट्रक्शन परमिट :-
-सिस्टम ऑनलाइन होने से बिल्डिंग परमिट लेने में समय कम लगता है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 181 है। 30 तरह के प्रोसीजर के पालन में 144 दिन लगते हैं।
3.कर्ज लेना :-
-नियमों में बदलाव से बेहतर रेटिंग वाली कंपनियों के लिए कर्ज लेना आसान हुआ है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 29 है। बैंक कर्ज महंगा होने के कारण इंडस्ट्री दूसरे स्रोतों से पैसे जुटा रही है। नोटबंदी के बाद स्थिति खराब हुई।
4.निवेशकों की सुरक्षा :-
-कंपनी के छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा अब पहले से मजबूत हुई है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 4 है। छोटे निवेशकों के लिए सेबी ने कई कदम उठाए हैं।
5.टैक्स का भुगतान :-
-कॉरपोरेट इनकम टैक्स के नियम आसान हुए हैं। ईपीएफओ में भुगतान भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होने लगा है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 119 है। हर साल 13 तरह के भुगतान में 214 घंटे लगते हैं।
6.आयात-निर्यात
-नियमों में बदलाव और इलेक्ट्रॉनिक तरीके अपनाने से आयात-निर्यात में कम समय लगता है। मर्चेंट फीस खत्म करने से भी आसानी हुई है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 146 है। निर्यात के कागजात पूरे करने में 38 दिन और आयात में 61 दिन लगते हैं। विश्व बैंक को पैरामीटर दोबारा रिव्यू करना चाहिए।
7.न्यायिक प्रक्रिया
-नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड लागू करने से स्थिति बेहतर हुई है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 164 है। फैसले आने में औसतन 1445 दिन लगते हैं।
8.इन्सॉल्वेंसी :-
-इसके लिए नया इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कानून लाया गया है। इससे इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया जारी रहने के दौरान भी बिजनेस जारी रखा जा सकता है।
हकीकत : इसमें रैंकिंग 103 है। फैसले आने में औसतन 4.3 साल लगते हैं। रिकवरी का औसत भी 26.4% ही है।
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इन दो में स्थिति खराब हुई
1.बिजली
-इसमें रैंकिंग 29 है। कनेक्शन लेने में 46 दिन लगते हैं।
2.प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन :-
-इसमें रैंकिंग 154 है। 8 प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। जमीन खरीदने में औसतन 53 दिन लग जाते हैं।