*रेपो रेट क्या है और इसमें कमी आने से EMI में कमी कैसे आ जाती है?*
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हाल ही में अगस्त के महीने में घोषित अपनी मौद्रिक नीति में भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट को 0.25% घटा दिया है जिसके कारण यह 7 सालों के सबसे निचले स्तर 6% पर आ गयी है. अब यहाँ पर लोगों के दिमाग में यह सवाल उठता होगा है कि रेपो रेट में कमी आने से होम लोन, पर्सनल लोन, वाहन लोन और बिज़नस लोन सस्ते कैसे हो जाते हैं या लोगों द्वारा चुकाई जाने वाली इन सभी लोनों की EMI में कमी कैसे आ जाती है.

इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए यह समझना होगा कि रेपो रेट क्या होती है और इसके कम होने के बाद कमर्शियल बैंक क्या प्रतिक्रिया करते हैं क्या वे भी अपनी ब्याज दर कम करते हैं या नही.

“रेपो रेट वह दर है जिस पर कमर्शियल बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से कर्ज लेते हैं.”

दरअसल रिज़र्व बैंक (RBI) हर तिमाही अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है जिसमे वह देश में आर्थिक परिस्तिथियों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेता है. RBI देखता है कि यदि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति निचले स्तर पर होती है तो वह अन्य दरों जैसे नकद आरक्षी अनुपात (CRR), रिवर्स रेपो रेट और बैंक रेट इत्यादि में जरुरत के अनुसार परिवर्तन (कमी या बढ़ोत्तरी) कर देता है.

*रेपो रेट में परिवर्तन करने के कारण विभिन्न प्रकार के लोन सस्ते क्यों हो जाते हैं:*

नोट: यहाँ पर यह बात ध्यान दी जानी चाहिए कि यद्यपि RBI रेपो रेट में कमी कर देता है लेकिन कमर्शियल बैंक अपनी ब्याज दरों में कोई कमी नही करते हैं तो सामान्य जनता को रेपो रेट में कमी का कोई लाभ प्राप्त नही होता है. कमर्शियल बैंक अपनी ब्याज दर घटाते हैं या नही इसका फैसला सिर्फ बैंक ही करते हैं, RBI इस मामले में उन्हें मजबूर नही कर सकता है.

अब आइये इस बात को जानते हैं कि रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो रेट में 0.25% की कमी होने का लोगों की EMI पर कितना फर्क पड़ेगा.

*केस 1. होम लोन*

यदि किसी ने 1 करोड़ का होम लोन 20 साल के लिए लिया है तो उसे इस कटौती से कितना फायदा होगा.

यहाँ पर यह माना गया है कि रेपो रेट में कटौती के पहले ब्याज दर 8.65% थी जो कि 0.25% की कटौती के साथ अब 8.40% पर आ गयी है. यहाँ पर यह भी बताना जरूरी है कि रेपो रेट में जितनी कटौती रिज़र्व बैंक ने की थी उतनी ही कटौती कमर्शियल बैंकों ने भी की है.

*केस 2. ऑटो लोन*

यदि किसी ने 15 लाख रुपये का ऑटो लोन 5 वर्ष के लिए लिया है तो उसे कितना फायदा होगा.

यहाँ पर रेपो रेट में कटौती के पहले ब्याज दर 9.80% थी और जब रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की तो यह घटकर 9.55% पर आ गयी है. यहाँ पर कमर्शियल बैंकों ने रेपो रेट कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को दिया है.

इस प्रकार हमने दो उदाहरणों की सहायता से पढ़ा कि किस प्रकार रेपो रेट में कमी होने का लाभ सामान्य जनता को उनकी कम EMI के रूप में मिलता है. लेकिन यदि कमर्शियल बैंक अपने ग्राहकों को इस कटौती का लाभ न देना चाहे तो रेपो रेट में कमी होने के बाद भी सामान्य जनता को इसका फायदा नही होगा. इसीलिए आपने समाचारों में अक्सर सुना होगा कि रिज़र्व बैंक के गवर्नर किसी भी रेट में कटौती की घोषणा करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कमर्शियल बैंकों से अपील करते हैं कि वे इस कटौती का फायदा अपने ग्राहकों को भी पहुंचाएं.

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