उद्योगों के नफा-नुकसान का आकलन
(डॉ. भरत झुनझुनवाला) कारोबार में उद्यमी अपने लाभ की गणना करता है। मसलन, कच्चा माल खरीदने के लिए उसे
(डॉ. भरत झुनझुनवाला) कारोबार में उद्यमी अपने लाभ की गणना करता है। मसलन, कच्चा माल खरीदने के लिए उसे
© पेट्रोलियम उद्योग © पेट्रोलियम उद्योग का महत्त्वः भारत में पेट्रोलियमउद्योग का महत्त्व उसकी मांग एवं पूर्ति से लगाया जासकता है। देश में कच्चे तेल का कुल भंडार 75.6 करोड़टन अनुमानित है। परंतु फिर भी भारत अपनी कुलआवश्यकता का मात्र 20% भाग ही स्वदेशी उत्पादनद्वारा प्राप्त कर पाता है। पेट्रोलियम उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः वर्ष 1956 तक भारत में केवल एक ही खनिजतेल उत्पादन क्षेत्र विकसित थी जो डिग्बोई असममें था। डिग्बोई के जिस तेल कुएं से तेल निकालागया था वहां से आज भी तेल निकाला जा रहा है।वर्तमान में भारत असम, त्रिपुरा, मणिपुर, पश्चिमबंगाल, मुम्बई, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हिमाचलप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, केरल केतटीय प्रदेशों तथा अंडमान एवं निकोबार सेखनिज तेल प्राप्त करने का कार्य कर रहा है।भारत में तेल की खोज और इसके उत्पादन काकाम व्यापक और व्यवस्थित रूप से 1956 मेंतेल और प्राकृतिक गैस आयोग (Oil and Natural Gas Commission—ONGC) केस्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में ऑयलइंडिया लि- (Oil India Limited—OIL) सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कम्पनी बन गई। नोटः 1 फरवरी, 1994 में तेल और प्राकृतिक गैसआयोग (Oil and Natural Gas Commission) कानाम बदलकर Oil and Natural
• आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अगस्त में बढ़कर 4.9 फीसद हो गई। यह इसका पांच माह का