School of Economics | *क्यों महत्त्वपूर्ण है व्यवहार अर्थशास्त्र (Behavioural Economics)*
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*क्यों महत्त्वपूर्ण है व्यवहार अर्थशास्त्र (Behavioural Economics)*

 

• चर्चा में क्यों?

अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थेलर को इस बार का नोबेल पुस्कार मिलना चर्चा का विषय रहा है। रिचर्ड थेलर के जिस योगदान को इस पुरस्कार ने सम्मानित किया है वह आज के दौर में खासतौर पर महत्त्वपूर्ण है।
महत्त्वपूर्ण इसलिये क्योंकि यह अर्थशास्त्र के जटिल और किताबी सिद्धांतों के बजाय मानव जीवन से सीधे जुड़े एक सिद्धांत के लिये दिया गया है, जिसे व्यवहार अर्थशास्त्र (behavioural economics) के नाम से जाना जाता है।

*क्या है व्यवहार अर्थशास्त्*र (behavioural economics)
अर्थशास्त्र का मनोविज्ञान क्या है?*

क्यों एक व्यक्ति विरासत में मिली अकूत संपत्ति को खाक कर सड़क पर आ जाता है और दूसरा विरासत में कुछ भी न मिलने के बावजूद करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर देता है? युवावस्था में लाखों कमाने वाला व्यक्ति क्यों बुढ़ापे में एक धेले का मोहताज़ हो जाता है? व्यवहार अर्थशास्त्र इन सभी सवालों का उत्तर प्रस्तुत करता है।
व्यवहार अर्थशास्त्र के माध्यम से थेलर ने इस पारंपरिक धारणा को सफलतापूर्वक चुनौती दी है कि लोगों का आर्थिक व्यवहार तर्कों और सिद्धांतों से बंधा होता है। अपने शोध के ज़रिये उन्होंने यह स्थापित किया कि लोगों की अपनी धारणाओं का, नैतिकता संबंधी उनकी मान्यताओं का, उनकी अपनी ज़रूरतों, सुविधाओं वगैरह का उनके आर्थिक फैसलों पर खासा असर होता है।

*निष्कर्ष*

रिचर्ड थेलर ने आम-जन के जीवन के सभी पहलुओं को आर्थिक चिंतन से जोड़ा है। उन्होंने अर्थशास्त्र को मनोविज्ञान से जोड़ते हुए इसे अधिक मानवीय बनाया है।
दरअसल, थेलर वह शिक्षाविद् हैं, जिन्होंने मानव जाति के अर्थशास्त्र पर नहीं, बल्कि अर्थशास्त्र के मानवीय पहलुओं पर काम किया है।
व्यवहार अर्थशास्त्र का उनका यह सिद्धांत कहता है कि यदि आप चाहते हैं कि लोग किसी खास व्यवहार को अपनाएं, तो उसे आसान बनाइए।
मौजूदा दौर में जब स्वच्छता जैसी स्वैच्छिक मुहिम के पीछे भी बल प्रयोग की मानसिकता बलवती हो रही है तो ऐसे में व्यवहार अर्थशास्त्र का उनका यह सिद्धांत खास तौर पर उपयोगी साबित हो सकता है।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

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