1.सुप्रीम कोर्ट में कोई संकट नहीं : चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ आवाज उठाने वाले दो न्यायाधीशों के बदल गए सुर
• मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा विद्रोह किए जाने से उत्पन्न संकट के समाधान की कोशिशें तेज हो गई हैं। चीफ जस्टिस के खिलाफ आवाज उठाने वाले दो जजों ने शनिवार को अपना सुर नरम कर लिया। जस्टिस कुरियन जोसेफ और रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई संवैधानिक संकट नहीं है।
• जस्टिस मिश्र भी बगावत करने वाले चारों जजों से रविवार को मिल सकते हैं। इनमें से तीन जज इस समय नई दिल्ली से बाहर हैं। सूत्रों के अनुसार, रविवार दोपहर तक तीनों जज राजधानी पहुंच सकते हैं। हालांकि, औपचारिक रूप से इस बैठक की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन जस्टिस कुरियन जोसेफ, रंजन गोगोई और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बयानों से लगता है कि अंदरूनी तौर पर सुलह का प्रयास जारी है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया भी समाधान के लिए सक्रिय रहा।
• जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कोच्चि में मीडिया से बात करते हुए कहा कि संकट के समाधान के लिए किसी बाहरी दखल की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में कोई संवैधानिक संकट नहीं है। चार न्यायाधीशों ने सिर्फ प्रक्रिया से जुड़े सवाल उठाए हैं। हमें उम्मीद है कि इसका समाधान हो जाएगा।
• जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मामला संस्थान के भीतर उठाया गया है। इसके समाधान के लिए जरूरी कदम संस्थान खुद उठाएगा। हमने यह मामला भारत के राष्ट्रपति के सामने नहीं उठाया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या इसके जजों की कोई संवैधानिक जिम्मेदारी उनके पास नहीं है।
• जस्टिस रंजन गोगोई ने भी सुप्रीम कोर्ट में किसी भी संवैधानिक संकट से इन्कार किया है। शनिवार को कोलकाता में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में कोई संवैधानिक संकट नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या सुप्रीम कोर्ट के चारों जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नियमों का उल्लंघन किया है, इस पर उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से साफ इन्कार कर दिया।
2. यूएन महासचिव ने सुरक्षा परिषद में शक्ति संतुलन की वकालत की
• संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने सुरक्षा परिषद में शक्ति संतुलन कायम करने की वकालत की है। उन्होंने यूएन को अधिक लोकतांत्रिक बनाने की बात कही और इसके लिए सुरक्षा परिषद में सुधार को जरूरी बताया।
• उन्होंने कहा कि यूएन को लोकतांत्रिक बनाने के लिए शक्ति का अधिक संतुलित तरीके से विभाजन होना चाहिए। यूएन की सभी संस्थाओं में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व में प्रभावी विविधता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बेशक उनकी बातों के केंद्र में सुरक्षा परिषद का सुधार है।
• गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया करीब एक दशक से रुकी हुई है। इस विषय में अगली बैठक 29 जनवरी को होने वाली है। गुतेरस शुक्रवार को मिस्र के जी-77 की अध्यक्षता संभालने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
• उन्होंने उम्मीद जताई कि जी-77 सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत सुनिश्चित करने में प्रभावी योगदान देगा। उन्होंने कहा कि जी-77 को न केवल बहुपक्षीय दुनिया, बल्कि एक ऐसी दुनिया के लिए भी अहम भूमिका निभाना है जहां अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक न्याय हो।
• विकासशील देशों के समूह जी-77 में मौजूदा समय में 134 सदस्य देश हैं। यह यूएन में सबसे बड़ा समूह है।
3. भारत और ब्रिटेन ने किए दो अहम समझौतों पर दस्तखत
• भारत ने ब्रिटेन के साथ आपराधिक रिकार्ड साझा करने और अवैध आव्रजकों की वापसी पर दो सहमति पत्रों पर दस्तखत किए हैं। भारत सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने ब्रिटेन के एक विशेष कार्यक्रम में वहां रह रहे भारतीयों से मुलाकात भी की।
• वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ब्रिटेन दौरे पर अपने प्रतिपक्षी नेताओं के साथ बातचीत के लिए ब्रिटेन आए हैं। रिजिजू ने ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री कैरोलाइन नोक्स के साथ आपराधिक रिकार्ड साझा करने और अवैध आव्रजकों की वापसी पर सहमति पत्र पर दस्तखत किए। अप्रैल में राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों की ब्रिटेन में होने वाली बैठक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दस्तखत करेंगे। वहीं, सुरेश प्रभु यहां भारत-ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता करने आए थे।
• सुरेश प्रभु और किरण रिजिजू ने शनिवार को ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिटेन में बसे भारतीयों की साङोदारी से भारत के विकास का सच्चा सामथ्र्य नजर आने लगेगा। हम मिलकर कल के भारत को आकार देंगे। अपने दौरे के दूसरे और अंतिम दिन सुरेश प्रभु ने कहा कि मुङो पूरा विश्वास है कि ब्रिटेन में बसे भारतीयों की ताकत भारत के विकास में सहायक होगी।
• उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों को ‘नए भारत की नई सुगंध’ बताया।
• उत्तरी लंदन में दलित नेता आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा कि ऐसा पहली बार है जब हमें ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसने देश की अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए वर्ष 2022 की समय-सीमा निर्धारित की है।
• ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने के बजाय नए विचारों पर तवज्जो देते हुए प्रभु ने कहा कि उनका ब्रिटेन दौरा ब्रेक्जिट के बाद के एजेंडा पर खरा उतरा है।
• प्रभु के कैबिनेट सहयोगी रिजिजू ने कहा कि विश्व भर में भारतीयों की मदद के लिए पर्सन्स ऑफ इंडियन ओरिजन (पीआइओ) और ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (ओसीआइ) के दस्तावेज बनाने के लिए मदद मुहैया कराई जा रही है। साथ ही ई-वीजा योजना के विस्तार के लिए 160 देशों में तैयारी है।
4. चीन को बदलनी होगी निर्यात से विकास की नीति
• पिछले तीन दशक तक निर्यात के दम पर आर्थिक विकास की छलांग लगा रहे चीन को अपनी नीतियां बदलनी पड़ सकती हैं। दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक चीन को अगले पांच से 10 साल में व्यापार घाटा का सामना करना पड़ेगा। बढ़ते आयात को देखते हुए चीन के एक पूर्व अधिकारी ने यह बात कही है।
• चीन की अकादमिक कमेटी नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन के पूर्व महासचिव झांग यानशेंग ने कहा है कि संरक्षणवाद बढ़ने से निर्यात मुश्किल होता जा रहा है।
• हांगकांग के समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट से झांग ने कहा, ‘अगला चरण है खुली अर्थव्यवस्था। इसमें संतुलित व्यापार केंद्र में रहेगा। बड़ी वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में आयात बढ़ाना चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’
• चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल चीन के आयात-निर्यात का संयुक्त आंकड़ा 14.2 फीसद बढ़कर 27.79 लाख करोड़ युआन (करीब 273.5 लाख करोड़ रुपये) पहुंच गया। इसमें निर्यात 10.8 फीसद बढ़कर 15.33 लाख करोड़ युआन (करीब 151 लाख करोड़ रुपये) और आयात 18.7 फीसद बढ़कर 12.46 लाख करोड़ युआन (करीब 122.6 लाख करोड़ रुपये) के स्तर पर रहा।
• आंकड़ों से स्पष्ट है कि चीन का निर्यात अभी उसके आयात से ज्यादा है, लेकिन इनका अंतर तेजी से कम हो रहा है। 2017 में यह अंतर 14.2 फीसद की दर से सिकुड़कर 2.87 लाख करोड़ युआन (करीब 28.25 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया।
• 2016 में इसमें 9.1 फीसद की कमी आई थी और यह अंतर 3.35 लाख करोड़ युआन (करीब 32.96 लाख करोड़ रुपये) रहा था। यह स्थिति बनी रही तो अगले कुछ साल में आयात का स्तर निर्यात को पार कर जाएगा।
5. एक अप्रैल 2018 से होगा आईडीएफसी बैंक में कैपिटल फर्स्ट का विलय
• निजी क्षेत्र के आईडीएफसी बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) कैपिटल फर्स्ट का विलय 1 अप्रैल 2018 से लागू होगा। दोनों पक्षों के बोर्ड ने शनिवार को इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। शेयर स्वैप रेशियो 139:10 तय हुआ है। यानी कैपिटल फर्स्ट के हर 10 शेयर के लिए आईडीएफसी बैंक 139 शेयर जारी करेगा।
• विलय की प्रक्रिया दो से तीन तिमाही में पूरी होने की उम्मीद है। बैंक का मानना है कि इस विलय से उसकी बैलेंस शीट और मजबूत होगी। साथ ही हाउसिंग फाइनेंस के कारोबार आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। विलय से संयुक्त कंपनी की एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 88,000 करोड़ रुपए की होगी।
• बीते वित्त वर्ष 2016-17 में इसका टैक्स बाद मुनाफा 1,268 करोड़ रुपए का होगा। इसकी कुल 194 ब्रांच, 353 डेडिकेटेड बीसी आउटलेट्स और 9,100 माइक्रो एटीएम पॉइंट्स होंगे। उसके देशभर में व 50 लाख से ज्यादा ग्राहक होंगे।
• वहीं, कैपिटल फर्स्ट की लोन बुक 22,974 करोड़ रुपए की है। देशभर में 228 जगहों पर नेटवर्क है। 30 लाख से अधिक ग्राहक हैं। पांच साल में इसका एयूएम सालाना 27% और मुनाफा 40% की दर से बढ़ा है। ग्रॉस और नेट एनपीए क्रमश: 1.63% और 3% है।
• आईडीएफसी बैंक ने 2015 में बैकिंग स्पेस में कदम रखा था। उसकी मंशा खुदरा लोन के पोर्टफोलियो को बढ़ाने की थी।
6. 15 साल बाद इजरायल के पीएम भारत आ रहे हैं
• इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू रविवार को 5 दिन की यात्रा पर भारत आएंगे। यह 15 साल बाद किसी इजरायली पीएम का भारत दौरा है। इससे पहले 2003 में पीएम एरियल शेरॉन भारत आए थे। यह इजरायली पीएम का किसी देश का सबसे लंबा दौरा भी बताया जा रहा है।
• नेतन्याहू का यह दौरा भारत-इजरायल की दोस्ती के लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि यूएन में भारत ने यरूशलम को राजधानी घोषित करने के विरोध में वोट किया था। मोदी, नेतन्याहू के बीच सोमवार को हैदराबाद हाउस में बैठक होगी। इसमें फिलिस्तीन, यरूशलम, मिडिल-ईस्ट विवाद आदि मुद्दों पर बात हो सकती है।
• नेतन्याहू आगरा, अहमदाबाद और मुंबई भी जाएंगे। वह अपने साथ सबसे बड़ा डेलिगेशन लेकर भारत आ रहे हैं। इनमें 130 बिजनेसमैन हैं। इस दौरे पर भारत, इजरायल के बीच 445 करोड़ रु. के जमीन से हवा में मार करने वाली 131 मिसाइलों समेत अन्य समझौते होंगे।
• कुछ दिन पहले भारत ने इजरायल के साथ 3181 करोड़ रु. की एंटी टैंक स्पाइक मिसाइल डील और रॉफेल वेपंस डील निरस्त कर दी थी। हालांकि अब कहा जा रहा है नेतन्याहू, मोदी के साथ इस डील को दोबारा कन्फर्म कर सकते हैं। इसके तहत इजरायल, भारत को 8,000 एंटी टैंक स्पाइक मिसाइल देगा।
• दोनों देशों के रक्षा, कृषि, साइबर, सिक्युरिटी, मेडिसिन, सिनेमा, जल, रक्षा, फूड इंडस्ट्री, साइंस एंट टेक्नोलॉजी, व्यापार आदि क्षेत्रों में नए समझौते हो सकते हैं। भारत और इजरायल के बीच हर साल करीब 25,452 करोड़ रु. का कारोबार होता है। भारत हर साल करीब 6400 करोड़ रु. के हथियार इजरायल से खरीदता है।
7. जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भारत ने पेश की मिसाल
• जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से लड़ने में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ ही इस वैश्विक चुनौती का मुकाबला करने में पूरी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए भारत और चीन को संयुक्त राष्ट्र से सराहना मिली है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि एक ऐसे समय में जब दूसरे देश इससे पीछे हट रहे हैं तब भारत और चीन ने एक मिसाल पेश की है।
• गुटेरेस के मुताबिक जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त राष्ट्र पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। पूरी दुनिया में मौसम में आ रहे बदलावों के कारण अफ्रीकी देश सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। गुटेरेस ने यह बात मिस्न को विकासशील देशों के समूह जी 77 एंड चाइना की अध्यक्षता सौंपे जाने के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कही।
• मिस्र से पहले इक्वाडोर इस समूह का अध्यक्ष था। गुटेरेस ने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन से पराजित नहीं होना है, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी तक हम उससे जीत भी नहीं पाए हैं। जी 77 के देश खासकर अफ्रीकी देशों में इसके कारण सूखे की स्थिति पैदा हो रही है।
• देखा जा रहा है कि छोटे-छोटे द्वीपों वाले देश समुद्री तूफान की चपेट में आ रहे हैं। समुद्र का जलस्तर बढ़ने से भी उनके अस्तित्व को खतरा है। लेकिन इसके साथ ही जी 77 के दो बड़े देश भारत और चीन इन दुष्प्रभावों से निपटने के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध हैं और यह तब है जब बाकी देश क्लाइमेट चुनौती से निपटने की चुनौती के आगे नाकाम साबित हो रहे हैं। अगर हम इस लड़ाई में कामयाब नहीं हुए तो आने वाले समय में हालात और अधिक खराब होंगे।
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