दैनिक समसामयिकी

 

1.डिजिटल इंडिया से दलालों पर लगाम : प्रधानमंत्री
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार की डिजिटल इंडिया योजना दलालों और बिचौलियों परअंकुश लगाने में कारगर और लोगों को सशक्त बनाने में बहुत मददगार साबित हो रही है। मोदी ने शुक्रवार को डिजिटल इंडिया योजना के विभिन्न लाभार्थियों से संवाद करते हुए कहा, यह पहल देश में करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रही है।
• उन्होंने कहा कि इस पहल से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में एक तरफ जहां बड़े पैमानें पर रोजगार सृजन करने में मदद मिली है वहीं काला धन और जमाखोरों के खिलाफ अंकुश लगाने में इससे बहुत मदद मिली है। कुछ लोगों द्वारा यह अफवाहें फैलायी जा रही हैं कि डिजिटल के इस्तेमाल से पैसा सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे बिचौलियों के लिए समस्या पैदा हो रही है और वे ही ऐसी अफवाहें फैलाते हैं। इस योजना के जरिये लोगों को सशक्त बनाया जा रहा है।
• उन्होंने कहा, किसी को दिखे या ना दिखे, लेकिन देश बदल रहा है। मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया योजना की शुरुआत इस संकल्प के साथ कि गयी थी कि देश के सामान्य व्यक्ति, गरीब, किसान, युवाओं और गांवों को इस योजना से जोड़ना और उन्हें सशक्त बनाना है तथा इसके लाभ अब सामने आने लगे हैं। आज गांव में पढ़ने वाला छात्र सिर्फ अपने स्कूल, कालेजों में उपलब्ध किताबों तक सीमित नहीं रह गया है। इंटरनेट का उपयोग कर डिजिटल लाइब्रेरी के माध्यम से लाखों किताबों तक आसानी से पहुंच बना रहा है।
• उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया को आगे ले जाना है। यह एक ऐसी लड़ाई है जो दलाल बनाम डिजिटल इंडिया है।डिजिटल भुगतान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, जब मैंने इस माध्यम से भुगतान की बात की थी तो कुछ लोगों ने मेरा बहुत मखौल उड़ाया था। उन्होंने कहा कि रुपे कार्ड डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
• आज देश में करीब पचास करोड़ रुपे कार्ड लोगों की जेब में हैं। भारत में ही नहीं विदेश में भी इस कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। मोदी ने कहा कि वर्तमान में देश में लाखों की संख्या में युवा ग्रामीण स्तर उद्यमी (वीएलई) के रूप में काम कर रहे हैं। सबसे खुशी की बात यह है कि इनमें से 52 हजार महिला उद्यमी हैं।
• देश में करीब तीन लाख कामन सर्विस सेंटर्स खोले जा चुके हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत छह करोड़ लोगों को डिजिटल कौशल और प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है।

2. कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन का मामला : परिषद सदस्य करेंगे फैसला : यूएन प्रमुख
• संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की उच्च स्तरीय स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की जो मांग की है उसके बारे में आगे क्या कदम उठाना है इसके बारे में फैसला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य लेंगे।
• संरा महासचिव गुतारेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने यह टिप्पणी कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर संरा की पहली मानवाधिकार रिपोर्ट सामने आने के बाद की है। भारत ने कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट को ‘‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित ’ बता कर इसे खारिज कर दिया और इसे चु¨नदा तरीके से जुटाई गई गैर सत्यापित जानकारी का बड़ा संकलन बताया।
• मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है और गलत तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रही है। उप प्रवक्ता फरहान हक ने कल यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जैसा आप जानते हैं यह मानवाधिकार परिषद के सदस्य देशों पर निर्भर करेगा। उच्चायुक्त जैद ने मानवाधिकार परिषद को इस बारे में प्रस्ताव दिया है। इसका जवाब क्या होना चाहिए इसके बारे में हम आकलन करेंगे।’
• उनसे पूछा गया था कि क्या महासचिव कश्मीर और पीओके में कथित उल्लंघनों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के पक्ष में हैं। इस सवाल के जवाब में हक ने कहा कि संरा प्रमुख का लंबे समय से यह मानना है कि कश्मीर में बने हालात को पक्षों को अपने स्तर पर सुलझाना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें देखना होगा कि इस रिपोर्ट के परिणाम के बारे में मानवाधिकार परिषद क्या फैसला लेती है। यह रिपोर्ट मानवाधिकार कार्यालय ने तैयार की है। संयुक्त राष्ट्र का फैसला क्या होगा यह सदस्य देश तय करेंगे।’ हक ने कहा कि उच्चायुक्त ने स्वतंत्र जांच की मांग की है , लेकिन उस सुझाव पर किस तरह की प्रतिक्रिया दी जानी है इसके बारे में फैसला मानवाधिकार परिषद के सदस्यों का होगा।
• उन्होंने कहा, ‘‘उच्चायुक्त और मानवाधिकार कार्यालय ने उनके पास मौजूद सर्वश्रेष्ठ जानकारियों के आधार पर रिपोर्ट दी है। हालांकि कश्मीर के दोनों ही हिस्सों में जैसी पहुंच और संपर्क वह चाहते हैं, वह उन्हें नहीं मिल पाया। अब इस चरण में, रिपोर्ट उनके हाथों में हैं। इस मामले में कोई कदम उठाए जाने की जरूरत है या नहीं यह फैसला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य देश ही करेंगे।’

3. किसी देश को कर्ज के कुचक्र में फंसाने का इरादा नहीं : चीन
• चीन ने कहा है कि उसका इरादा किसी भी देश को ऋण कुचक्र में फंसाना नहीं है और उसने यह भी कहा कि वह बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के तहत दक्षिण एशियाई देशों को गरीबी के कुचक्र से मुक्ति दिला कर आर्थिक एवं व्यापारिक प्रगति करने का मौका उपलब्ध कराना चाहता है।
• चीन के दक्षिणी प्रांत युन्नान के मशहूर पर्यटन स्थल एवं स्वच्छ पानी की सबसे बड़ी झील फूशियान के तट पर एक रिसॉर्ट में शुक्रवार को आयोजित पहले चीन दक्षिण एशिया सहयोग मंच की बैठक के बाद युन्नान प्रांत में स्थित विदेश विभाग के महानिदेशक ली जि¨मग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीआरआई परियोजना विभिन्न पक्षों से विचार विमर्श करने एवं सहमति लेने के बाद परस्पर लाभ सुनिश्चित करने के मकसद से बनायी गई है।
• उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि युन्नान प्रांत सहित चीन में बनने वाली तकरीबन सभी आर्थिक गतिविधियां बीआरआई के अंतर्गत ही बनायीं जा रहीं हैं।दक्षिण एशिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 80 प्रतिशत केवल भारत से होने के बावजूद बीआरआई से उसकी दूरी के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस परियोजना को लेकर राष्ट्रपति शी जिन¨पग और प्रधानमंी नरेन्द्र मोदी के बीच भी बात हुई है।
• श्री मोदी की इस साल चीन की दो बार या हुई है। राष्ट्रपति शी भारत एवं चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं।ली ने कहा कि चीन सरकार ना केवल दक्षिण एशिया बल्कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका आदि क्षेाों के देशों को ढांचागत विकास के लिए ऋण देती रही है। ये ऋण सरकारों और कारोबारी प्रतिष्ठानों दोनों को दिये जाते हैं। सरकारों को दिये जाने वाले ऋण बहुत कम ब्या पर दिया जाता है जबकि कारोबारी प्रतिष्ठानों को मिलने वाले ब्या की दर अधिक होती है।
• उन्होंने कहा कि इन ऋणों को देने के पहले सरकारें या कंपनियां वित्तीय व्यवहार्यता अध्ययन करतीं हैँ और ऋण को चुकता करने की क्षमता का आकलन करने के बाद ही ऋण लेतीं हैं। इस प्रक्रिया में चीन सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। श्रीलंका, पाकिस्तान एवं मालदीव जैसे कुछ दक्षिण एशियाई देशों को भारी भरकम ऋण देकर उन्हें ऋण के कुचक्र में फंसाने की आशंकाओं का उल्लेख करने पर श्री ली ने कहा, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होने की संभावना है।
• चीन में सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मास्युटिकल्स उद्योग को लेकर आयात प्रतिबंधों के कारण भारत सहित कई एशियाई देशों के समक्ष पेश आ रहीं कारोबारी बाधाओं के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कोई साफ जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ये नीतिगत बातें हैं जिन पर समुचित फोरम पर बात चल रही है। ली ने गुरुवार से कुन¨मग में शुरू हुए पांचवे चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो में भारत एवं अन्य देशों के कारोबारियों के उत्साहजनक प्रतिनिधित्व की सराहना की और कहा कि चीन सरकार इन पहलों के माध्यम से दक्षिण एशियाई देशों को ना केवल चीन से बल्कि आपस में व्यापार को आसान करने एवं उसमें इजाफा करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।
• उन्होंने चीन तथा दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर सहयोग के मंच बनाये जाने की वकालत की और इन देशों के मीडिया के बीच भी नेटवर्क बनाने और उनके विचारों का भी लाभ उठाने की बात कही।उन्होंने युन्नान प्रांत को दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्वी एशिया के साथ आर्थिक साझेदारी का प्राकृतिक केन्द्र बताया और बंगलादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारे का उल्लेख किया। भारत ने भी कई आर्थिक सहयोग के मंच गठित किये हैं और सभी देश उसमें अपनी रचनात्मक भूमिका निभा रहे है।
• युन्नान प्रांत की राजधानी कुन¨मग में कल पांचवे चीन-दक्षिण एशिया एक्सपो के उद्घाटन के बाद आज चीन-दक्षिण एशिया सहयोग मंच की पहली बैठक में चीन, अमेरिका, अफगानिस्तान, बंगलादेश, भारत, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, विएतनाम एवं म्यांमार के अलावा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों समेत करीब 400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

4. मुनाफाखोरी रोधी नियमों के तहत वसूली गई रकम का होगा बंटवारा
• केंद्र सरकार और संबंधित राज्य माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मुनाफाखोरी रोधी कानून के तहत नियमों का पालन नहीं कर रही कंपनियों द्वारा जमा कराई गई राशि को आपस में बराबर बांटेंगे। वित्त मंत्रालय की एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है।
• सरकार ने गत वर्ष जुलाई में जीएसटी लागू करने के बाद एक राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण गठित किया था। प्राधिकरण का काम वैसी कंपनियों पर जुर्माना लगाना है जो उपभोक्ताओं को कर का लाभ नहीं देती हैं। उपभोक्ता की पहचान नहीं हो पाने की स्थिति में इस राशि को उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करा दिया जाता है।
• मंत्रालय ने केंद्रीय जीएसटी नियमों को संशोधित करते हुए कहा कि 50 फीसद राशि केंद्र द्वारा गठित उपभोक्ता कल्याण कोष में और शेष राशि संबंधित राज्य के कोष में जमा की जाएगी। संशोधन के अनुसार संबंधित राज्य उन्हें माना जाएगा जहां मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण ने कंपनी के खिलाफ आदेश दिया होगा।
• अभी तक केंद्रीय जीएसटी नियमों में यह स्पष्ट नहीं था कि नियमों का पालन नहीं कर रही कंपनियों से वसूली गई राशि का विभाजन किस आधार पर होगा।

5. चीन से 3.4 लाख करोड़ के आयात पर 25% शुल्क लगाएगा अमेरिका
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन से 50 अरब डॉलर (3.4 लाख करोड़ रु.) के आयात पर 25% शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। यह 6 जुलाई से लागू होगा। ट्रंप ने चीन पर पेटेंट चोरी का भी आरोप लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर चीन ने बदले की कार्रवाई की तो और ज्यादा वस्तुओं पर शुल्क लगाए जाएंगे। इसके बावजूद चीन ने कहा कि वह भी अमेरिका से 3.4 लाख करोड़ के आयात पर 25% शुल्क लगाने को तैयार है। चीन ने दूसरे देशों से भी अमेरिका के खिलाफ एकजुट होने को कहा।
• ट्रंप ने मार्च में पहली बार चीन से आयात पर शुल्क लगाने की बात कही थी। जवाब में चीन ने अमेरिकी कार, प्लेन, सोयाबीन जैसी 106 चीजों पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी। तब ट्रंप ने कहा था कि और 6.8 लाख करोड़ रु. के आयात पर शुल्क लगाएंगे।
• ट्रेड वॉर से बचने के लिए दोनों देशों के बीच कई बार बातचीत हुई। मई में दो दौर की वार्ता के बाद दोनों ने शुल्क नहीं लगाने की बात कही। साझा बयान में कहा गया कि अमेरिका का व्यापार घाटा कम करने के लिए चीन 70 अरब डॉलर का आयात बढ़ाएगा। लेकिन 10 दिन बाद अचानक अमेरिका ने फिर शुल्क लगाने की घोषणा कर दी।
• इस महीने बीजिंग में द्विपक्षीय बातचीत बेनतीजा रही। गुरुवार को चीन ने कहा कि अगर शुल्क लगा तो वह आयात बढ़ाने के वादे पर अमल नहीं करेगा। बीजिंग में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो की मौजूदगी में मीडिया से बातचीत में चीन सरकार के प्रतिनिधि वांग यी ने कहा कि उनकी सरकार जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।
• चीन का जवाब: अमेरिका से 3.4 लाख करोड़ के आयात पर तत्काल शुल्क लगा रहे हैं
• क्यों: चीन के साथ 25 लाख करोड़ रु. का व्यापार घाटा :- पिछले साल अमेरिका का व्यापार घाटा 37 लाख करोड़ रु. का था। इसमें से चीन के साथ घाटा 25 लाख करोड़ का था। हालांकि जर्मनी के डॉयचे बैंक की एक रिसर्च के मुताबिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बिक्री को भी शामिल किया जाए तो अमेरिका को घाटा नहीं, बल्कि वह सरप्लस में है। चीन के साथ 1.4 लाख करोड़ और बाकी देशों के साथ 95 लाख करोड़ रु. का सरप्लस है।
• असर: शॉर्ट टर्म में चीन को नुकसान की आशंका :- चीन में औद्योगिक उत्पादन और रिटेल बिक्री घटी है। इस साल निवेश भी 5 साल में सबसे कम हुआ है। अमेरिका को निर्यात घटने से इकोनॉमी की रफ्तार और कम होगी। लेकिन लांग टर्म में उसे फायदा होगा। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वह तेजी से बढ़ने की कोशिश करेगा। इसके लिए दूसरे देशों में कंपनियों का अधिग्रहण भी करेगा। यूरोपीय कंपनियां आसान टार्गेट हो सकती हैं।
• कितना: 1,102 चाइनीज वस्तुओं पर अमेरिका शुल्क लगाएगा :- अमेरिका की सूची में 1,102 वस्तुएं हैं, जिनपर आयात शुल्क लगाया या बढ़ाया गया है। पहले करीब 1,300 वस्तुओं की सूची थी। संशोधित लिस्ट में टीवी जैसे कुछ कंज्यूमर गुड्स को हटाया गया है। लिस्ट में ऐसी वस्तुएं हैं जिनके आयात में चीन की हिस्सेदारी 33% या कम है। यूएस सेंसस ब्यूरो के मुताबिक अमेरिका 100 अरब डॉलर के कम से कम 7,600 ऐसे कंज्यूमर और इंडस्ट्रियल गुड्स का आयात करता है जिनके कुल आयात में चीन की 40% या कम हिस्सेदारी है।
• कोरिया फैक्टर:उत्तर कोरिया के लिए अब चीन की जरूरत नहीं
विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप को पहले लगता था कि चीन के दबदबे का इस्तेमाल कर उत्तर कोरिया को बातचीत के लिए राजी किया जा सकता है। अब कोरिया के साथ सीधी बातचीत शुरू हो गई है, तो ट्रंप को चीन की जरूरत नहीं महसूस हो रही।
स्टील-एल्युमिनियम पर पहले ही शुल्क लगा चुका है अमेरिका
इससे पहले ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर स्टील आयात पर 25% और एल्युमिनियम आयात पर 10% शुल्क लगा चुके हैं। यूरोपियन यूनियन, मेक्सिको और कनाडा ने भी जवाबी शुल्क लगाने की बात कही है। ट्रंप के अड़ने के कारण पिछले हफ्ते कनाडा में जी-7 देशों की बैठक भी बेनतीजा रही। आईएमएफ ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ लगाने से पूरा ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम प्रभावित होगा।

6. पहला कार्बन फाइबर यूनिट लगाएगी रिलायंस
• मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल) देश के पहले कार्बन फाइबर यूनिट में बड़ा निवेश करने की योजना बना रही है। आरआइएल ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वह एयरोस्पेस और रक्षा जैसे क्षेत्रों की जरूरतें पूरी करने के लिए कार्बन फाइबर यूनिट की स्थापना करेगी।
• दुनिया के सबसे बड़े तेल रिफाइनरी कंप्लैक्स की मालिक आरआइएल इस कार्बन फाइबर यूनिट के जरिये मॉड्यूलर टॉयलेट, घर और पवन-चक्की के ब्लेड समेत कम दाम और बड़ी मांग वाले उत्पादों का उत्पादन करेगी। हालांकि कंपनी ने इस योजना पर निवेश की कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन सालाना रिपोर्ट में उसने कहा कि प्लास्टिक और मेटल उत्पादों की बड़ी रेंज के लिए उसने त्रिआयामी (3-डी) प्रिंटिंग तकनीक विकसित की है।
• कंपनी ने यह भी कहा है कि कंपोजिट्स क्षेत्र के लिए लांच की गई नई कंपनी रिलायंस कंपोजिट्स सॉल्यूशंस (आरसीएस) के माध्यम से आरआइएल देश की सबसे बड़ी कंपोजिट्स कंपनी बनने का लक्ष्य रख रही है।1योजना के मुताबिक आरआइएल पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र में नए कारोबार विकसित करने में जुट गई है। इसका मकसद लगभग 30,000 करोड़ रुपये के कंपोजिट्स मार्केट की संभावनाओं का फायदा उठाना है।
• कंपनी ग्राफीन, विशिष्ट प्लास्टिक और इलास्टोमर तथा फाइबर री-इनफोस्र्ड प्रोडक्ट के उत्पादन की योजना बना रही है। ये सभी उत्पाद आने वाले दिनों में स्टील की जगह ले सकते हैं। कंपनी का कहना है कि कार्बन फाइबर यूनिट के उत्पाद स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं को मदद देने के अलावा आपदा प्रबंधन और सरकार की ‘सबके लिए आवास’ योजना के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होंगे।
• रिपोर्ट में कंपनी ने कहा, ‘आरआइएल खुद की तकनीक के जरिये देश की एयरोस्पेस और रक्षा समेत विशिष्ट औद्योगिक जरूरतों के लिए कार्बन फाइबर उत्पादों में बड़े निवेश की योजना बना रही है।’ गौरतलब है कि आरआइएल ने कंपोजिट्स कारोबार में प्रवेश के लिए पिछले वर्ष केमरॉक इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण किया था। उसके बाद से कंपनी ग्लास और कार्बन फाइबर री-इनफोस्र्ड पॉलिमर जैसे थर्मोसेट कंपोजिट्स पर फोकस कर रही है।

7. दो महीने बाद मुश्किल हो जाएगा ईरान से तेल खरीदना
• आने वाले दिनों में भारतीय तेल कंपनियों के लिए ईरान से तेल खरीदना मुश्किल हो सकता है। भुगतान की व्यवस्था संभालने वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने तेल रिफाइनरियों को जानकारी दी है कि नवंबर से यूरो में भुगतान का रास्ता बंद हो जाएगा। ईरान पर अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के प्रभावी होने से यह समस्या आएगी।
• पिछले महीने ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते से पीछे हटते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 180 दिन में ईरान पर पुन: प्रतिबंध प्रभावी होने का एलान किया था।1अमेरिका की ओर से प्रतिबंध की घोषणा के बाद से ही सरकार के स्तर पर यूरोपीय देशों से इस बारे में बातचीत हो रही है कि ईरान से तेल खरीदने का कारोबार आगे भी चलता रहे।
• हालांकि अब तक इस दिशा में सफलता के संकेत नहीं मिले हैं। सरकारी क्षेत्र की दो तेल कंपनियों इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) ने एसबीआइ की तरफ से भुगतान की समस्या पर निर्देश मिलने की बात कही है।
• एसबीआइ ने बताया है कि तीन नवंबर, 2018 के बाद से ईरान से खरीदे गए तेल का भुगतान यूरोपीय मुद्रा यूरो में करने का रास्ता खुला नहीं रहेगा। अभी तेल कंपनियां एसबीआइ को भुगतान करती हैं। फिर एसबीआइ जर्मनी स्थित यूरोपीश-ईरानीश हैंडल्सबैंक एजी के जरिये यूरो में ईरान को भुगतान करता है।
• भुगतान की वर्तमान व्यवस्था के हिसाब से अगस्त के आखिर से ही ईरान से तेल आयात प्रभावित हो जाएगा। माना जा रहा था कि यूरोपीय देशों की मदद से भुगतान की व्यवस्था जारी रखी जा सकती है। इस बारे में भारत का एक दल पिछले दिनों यूरोपीय देशों की यात्र पर भी गया था। लेकिन लगता है कि एसबीआइ इस बारे में फिलहाल कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है।

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