1.मध्यावधि आर्थिक सर्वेक्षण : आर्थिक वृद्धि का 7.5% लक्ष्य पाना मुश्किल

• संसद में शुक्रवार को रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2016-17 में 6.75 से 7.5 फीसद आर्थिक वृद्धि के अनुमान के उच्चतम दायरे (7.5 फीसद जीडीपी वृद्धि) का लक्ष्य हासिल होना मुश्किल होगा। हालांकि नीतिगत दरों में 0.75 फीसद तक कटौती की गुंजाइश है।

• यह पहला अवसर है जब सरकार ने किसी वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दो बार प्रस्तुत की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के लिए पहला आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी, 2017 को लोकसभा में रखा था क्योंकि इस बार आम बजट फरवरी के शुरू में ही पेश किया गया।

• आज प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में फरवरी के बाद अर्थव्यवस्था के सामने पैदा नई परिस्थितियों को रेखांकित किया गया है।जनवरी में पेश सर्वेक्षण में वर्ष 2016-17 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.75 से 7.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया था। रपट में कहा गया है कि इस समय मौद्रिक नीति को नरम बनाने की गुंजाइश काफी अच्छी है।

• सर्वेक्षण में कहा गया है कि अर्थचक्र के साथ जुड़ी परिस्थितियां संकेत दे रही हैं कि रिजर्व बैंक की नीतिगत दरें वास्तव में स्वाभाविक दर (आर्थिक वृद्धि की वास्तविक दर) से कम होनी चाहिए। निष्कर्ष स्पष्ट है कि मौद्रिक नीति नरम करने की गुंजाइश काफी अधिक है।

• आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीडीपी, आईआईपी, ऋृण प्रवाह, निवेश और उत्पादन क्षमता के दोहन जैसे अनेक संकेतकों से पता लगता है कि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही से वास्तविक आर्थिक वृद्धि में नरमी आई है।

2. नियमों के पालन के लिए बनाना होगा टोरा कानून

• आम लोगों से अगर सरकारी नियमों का बेहतर पालन कराना है तो सरकार नया कानून ‘टोरा’ बनाए। यह कानून सरकारी नियमों में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा जिससे आम नागरिकों के लिए नियमों का पालन करना आसान होगा।

• यह अहम सुझाव ‘आर्थिक सर्वे 2016-17 भाग – दो’ में दिया गया है।

• ‘टोरा’ का मतलब ट्रांसपेरेंसी ऑफ रूल्स एक्ट है। इस प्रस्तावित कानून के तहत सरकार के सभी विभागों को आम नागरिकों से संबंधित नियम विभाग की वेबसाइट पर डालने होंगे ताकि लोगों को उनके बारे में सही-सही जानकारी प्राप्त हो सके।

• वेबसाइट पर ये नियम हिंदी , अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में डाले जाएंगे।

• इस सुझाव के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार और जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने कहा कि फिलहाल सरकारी विभाग नियमों को एक जगह देने के बजाय उसमें सर्कुलर के माध्यम से बदलाव करते हैं। इस वजह से लोगों को यह पता नहीं चल पाता कि नियमों में क्या-क्या बदलाव हुए हैं।

• इसलिए जब कोई विभाग ‘टोरा’ का अनुपालन कर देगा तो लोगों को कठिनाई नहीं होगी। सान्याल ने कहा कि फिलहाल यह विचार सार्वजनिक चर्चा के लिए रखा गया है।

• आगे चलकर सरकार इस दिशा में सरकार जरूरी कदम उठाएगी। सर्वे में कहा गया है कि फिलहाल सरकारी नियमों के संबंध में व्यवस्था इतनी अपारदर्शी है कि सरकारी अधिकारियों को भी कई बार पता नहीं चलता कि किस नियम में कब बदलाव किया गया। टोरा बनने के बाद यह आसान हो जाएगा।

 

3. तेजी से सार्क की जगह लेने लगा है बिम्सटेक

• पाकिस्तान जिस तरह से आतंक की राह से अलग होने को तैयार नहीं है उसे देखते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का भविष्य पूरी तरह से ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। भारत ने सार्क की जगह बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्नीकल एंड इकॉनामिक कोआपरेशन (बिम्सटेक) को बढ़ावा देने का संकेत पहले ही दे दिया था।

• काठमांडू में इसके सदस्य देश नेपाल, भारत, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह तय हो गया कि अब दक्षिण एशिया में बिम्सटेक का ही भविष्य है। इन देशों की शिखर बैठक अगले महीने नेपाल में होगी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे।

• बिम्सटेक देशों ने शुक्रवार को हर प्रकार के आतंकवाद से मुकाबले के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके अलावा सदस्य देशों ने मुक्त व्यापार क्षेत्र (फाटा) समझौते के शीघ्र समाधान का आह्वान किया।

• काठमांडू में बिम्सेटक विदेश मंत्रियों की बैठक में शुक्रवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंशा साफ कर दी। विदेश मंत्री ने कहा कि, भारत की नेबरहुड फस्र्ट (सबसे पहले पड़ोसी) और लुक ईस्ट नीति के तहत हमारी विदेश नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए बिम्सटेक एक स्वाभाविक पसंद है।

• उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि भारत बिम्सटेक देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने व ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए अगुवाई करेगा। भारत की अगुवाई में अगली शिखर बैठक में इन देशों के बीच सहयोग के नए रोडमैप का निर्धारण होगा जिससे क्षेत्रीय सहयोग के नए युग की शुरुआत होगी

• विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सार्क के बगैर भी भारत दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर काम कर रहा है। बिम्सेटक निश्चित तौर पर अब इस क्षेत्र का सबसे अहम संगठन होगा लेकिन हाल ही में भारत ने सार्क के छह अन्य देशों नेपाल, भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका के बीच बड़े आर्थिक सहयोग का एक नया रोडमैप तैयार किया है।

• दक्षिण एशिया उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (सासेक) के तत्वाधान में इन सभी देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसमें भारत की अगुवाई में वर्ष 2025 तक सभी देशों के सकल घरेलू उत्पाद में 70 अरब डॉलर की वृद्धि करने और दो करोड़ लोगों को रोजगार दिलाने पर सहमति बनी। इस तरह का सहयोग तीन दशकों की कोशिशों के बावजूद सार्क देशों के बीच नहीं बन सका।

• बिम्सटेक की स्थापना 20 साल पहले हुई थी जबकि सासेक का गठन 16 वर्ष पहले की गई थी। लेकिन इनके विकास में पिछले एक वर्ष के दौरान जो कोशिशें की गई हैं वह पहले कभी नहीं की गई। इसकी सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान की तरफ से आतंकी गतिविधियों को मदद करना है।

• बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी बयान में भी कहा गया है कि सभी सदस्य देश आतंक के खिलाफ सहयोग बढ़ाने के लिए साझा कानून बनाएंगे। इसका उद्देश्य होगा कि आतंकी गतिविधियों की जांच में तेजी से काम हो। यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान के रहते यह समझौता हो पाता या नहीं।

• बिम्सेटक देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर भी बात हो रही है और भारत इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा दे रहा है। तीन दशक बाद भी सार्क के तहत इन क्षेत्रों में कोई प्रगति नहीं हुई है। स्वराज ने घोषणा की है कि भारत इस वर्ष ‘ब्रांड बिम्सटेक’ को स्थापित करने के लिए कारोबार व पर्यटन की प्रदर्शनी आयोजित करेगा। सदस्य देशों की स्टार्ट अप कंपनियों के लिए अलग से एक सेमिनार का आयोजन करेगा।

 

4. बिजली किल्लत दूर करेगा नया ग्रिड मॉडल

• दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों में बिजली आपूर्ति की दिक्कतों को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों एक नया ग्रिड मॉडल तैयार किया है। यह शत फीसद अक्षय ऊर्जा पर आधारित संकेंद्रित विद्युत प्रणाली पर काम करता है।

• सार्क देशों के लिए वर्ष 2030 तक की अनुमानित लागत संरचना और प्रौद्योगिकी की स्थिति को मद्देनजर रखते हुए यह मॉडल तैयार किया गया है।

• 24 घंटे होगी आपूर्ति : इस मॉडल में कोयला या जीवाश्म गैस के बजाय पावर-टू-गैस टेक्नोलॉजी से उत्पादित की गई सिंथेटिक अक्षय गैस का उपयोग किया जाता है। ऊर्जा के भंडारण के लिए सिस्टम और प्रॉस्परर बैटियों का उपयोग किया गया है।

• इसके उपयोग से हर मौसम में बिजली की आपूर्ति 24 घंटे की जा सकती है। ग्रिड एकीकरण मॉडल में सार्क क्षेत्र में उपलब्ध भूतापीय ऊर्जा, अलवणीकरण जल और औद्योगिक गैस की मांग से संबंधित आंकड़ों का उपयोग करते हुए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, ऊर्जा ब्रिजिंग और विद्युत संचरण समेत सभी तकनीकों को एकीकृत रूप में शामिल करके परीक्षण किया गया था।

• इसमें पाया गया है कि सार्क देशों के लिए अक्षय ऊर्जा पर आधारित एकीकृत विद्युत प्रणाली से कम कार्बन वाली बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है।

 

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