ECONOMY
*1.2018-19 की दूसरी पूरक अनुदान मांगें लोस में पारित*
• लोकसभा ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 85,948.86 करोड़ रुपये की दूसरी पूरक अनुदान मांगों तथा उनसे जुड़ा विनियोग विधेयक ध्वनि मत से पारित कर दिया।
• वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विधेयक पर चली र्चचा का जवाब देते हुए बताया कि इसमें करीब 70,000 करोड़ रुपये तकनीक अनुदान मांगा गया है, जबकि अतिरिक्त मांग मात्र 15,000 करोड़ रुपये की है। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनुशासन के मोर्चे पर सरकार का प्रदर्शन काफी बेहतर है।
• वित्तीय घाटा, चालू खाता घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार का उच्च स्तर, आर्थिक विकास दर, मुद्रास्फीति जैसे सभी आर्थिक पैमानों पर इस सरकार का प्रदर्शन आजादी के बाद की किसी भी सरकार से बेहतर रहा है।

*2. आरबीआई का सरप्लस पैसा कल्याणकारी स्कीमों में लगाया जाएगा: जेटली*
• सरकार को अपना घाटा पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक का सरप्लस पैसा नहीं चाहिए। इस पैसे का इस्तेमाल गरीबी दूर करने वाली स्कीमों और सरकारी बैंकों में पूंजी डालने में किया जा सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में यह बात कही। वह दूसरी सप्लीमेंट्री डिमांड पर बहस का जवाब दे रहे थे।
• चर्चा के बाद सदन ने 85,948.86 करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्च को मंजूरी दे दी। इसमें से 41,000 करोड़ रुपए सरकारी बैंकों को दिए जाएंगे। एयर इंडिया में सरकार 2,345 करोड़ का निवेश करेगी।
• जेटली ने कहा कि ज्यादातर देशों में केंद्रीय बैंक एसेट का 8% रिजर्व में रखते हैं। कुछ देशों में यह 14% भी है। लेकिन आरबीआई के रिजर्व फंड में एसेट के 28% के बराबर पैसा है।
• रिजर्व का उचित स्तर क्या हो यह तय करने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई गई है। समिति द्वारा तय स्तर के ऊपर जो भी सरप्लस पैसा होगा उसका इस्तेमाल गरीबी दूर करने वाली योजनाओं और सरकारी बैंकों में किया जाएगा।
• आरबीआई के रिजर्व फंड में 9.59 लाख करोड़ रुपए हैं। इसका उचित स्तर तय करने के लिए पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 6 सदस्यों की समिति बनाई गई है। जेटली ने कहा कि समिति बनाने का फैसला उर्जित पटेल के समय ही लिया गया था। गौरतलब है कि रिजर्व फंड पर विवाद के कारण पटेल ने 10 दिसंबर को गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था।
• वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए के समय बैंकों ने बिना पूरी छानबीन के कर्ज दिया। जेटली ने दावा किया कि यूपीए के समय बैंकों का एनपीए 8.5 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया था, जबकि यूपीए का दावा 2.5 लाख करोड़ रुपए का था।

*3. नए गवर्नर के आने के बाद रिजर्व बैंक ने जारी की पहली फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट : बैंकों की हालत 3 साल बाद सुधरी, एनपीए घटकर 10.8% पर आया*
• रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक का गवर्नर रहते बैंकों की एसेट क्वालिटी सुधारने की जो पहल की थी, अब उसके नतीजे आने लगे हैं। सितंबर तिमाही में बैंकिंग सेक्टर का ग्रॉस एनपीए 10.8% रह गया है। मार्च तिमाही में यह 11.5% था। मार्च 2015 के बाद पहली बार एनपीए में गिरावट आई है।
• नेट एनपीए भी इस दौरान 6.2% से घटकर 5.3% पर आ गया। रिजर्व बैंक में सोमवार को जारी छमाही फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। मार्च 2019 तक ग्रॉस एनपीए 10.3% तक आने की संभावना है।
• एनपीए घटने पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर सुधार के रास्ते पर है। हालांकि उन्होंने सरकारी बैंकों में गवर्नेंस सुधारने की बात भी कही। रिपोर्ट की प्रस्तावना में उन्होंने लिखा है कि बैंकों का एनपीए अब भी ज्यादा है, लेकिन स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि आगे इसमें कमी आएगी।
• सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में बैंकों को 41 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराने का फैसला किया है। आईएलएंडएफएस संकट बताता है कि वित्तीय क्षेत्र की बड़ी कंपनियां फाइनेंशियल सिस्टम को अस्थिर कर सकती हैं। इसलिए इनके ढांचे पर ध्यान देने की जरूरत है।
• ज्यादा एनपीए वाले कमजोर सरकारी बैंकों को तत्काल सुधार की श्रेणी (पीसीए) में रखने से इसका असर दूसरे बैंकों पर नहीं हुआ। आरबीआई ने कहा है कि पीसीए में नहीं डालने की स्थिति में अगर ये बैंक फेल होते तो पूरी बैंकिंग व्यवस्था प्रभावित हो सकती थी।
• गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 21 में से 11 सरकारी बैंकों को पीसीए में डाल रखा है। रिजर्व बैंक ने 1 अप्रैल 2017 को पीसीए के नियम बदले थे। इन्हीं नियमों के अनुसार वह बैंकों की निगरानी करता है।
• रिपोर्ट के अनुसार एनबीएफसी की बैलेंस शीट साल भर में 17.2% बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपए हो गई है। अप्रैल से सितंबर 2018 के दौरान इनका शुद्ध लाभ 16.2% बढ़ा है।
• अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 तक 6 महीने में इनके मुनाफे में 22.9% वृद्धि हुई थी। मार्च में इनका ग्रॉस एनपीए 5.8% था, अब 6.1% हो गया है। इनके कर्ज में 16.3% और निवेश में 14.1% बढ़ोतरी हुई है।
• जोखिम वाले एसेट की तुलना में एसेट (सीआरएआर) कम हुआ है। यह मार्च 2018 में 22.8% था, जो सितंबर में 21% रह गया। 8% एनबीएफसी न्यूनतम पूंजी अनुपात रखने में विफल हो सकती हैं।

INTERNATIONAL
*4. बांग्लादेश चुनाव में शेख हसीना की जबर्दस्त जीत*
• बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाले गठबंधन ने रविवार को हुए आम चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करके लगातार तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित कर लिया। यह परिणाम बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों के लिए अच्छी खबर है, विशेष तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर।
• पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और कुछ छोटी पार्टियों वाले विपक्षी गठबंधन ने चुनाव परिणामों को ‘‘ढोंग’ बताते हुए खारिज कर दिया और फिर से चुनाव कराने की मांग की। चुनाव आयोग ने हालांकि फिर से चुनाव कराने से इनकार कर दिया। अवामी लीग नीत महागठबंधन ने 300 सदस्यीय संसद में 288 सीटें जीती। सत्ताधारी गठबंधन को कुल पड़े मतों में से करीब 82 प्रतिशत वोट मिले।
• गठबंधन का यह प्रदर्शन 2008 से अच्छा है जब उसे 263 सीटें मिली थीं। चुनाव आयोग सचिव हेलालुद्दीन अहमद ने बताया कि विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) को 15 फीसद से अधिक वोटों के साथ ही सात सीटें मिली हैं जबकि अन्य ने तीन सीटें जीती हैं।अहमद ने बताया कि एक संसदीय क्षेत्र में मतदान स्थगित कर दिया गया जबकि एक अन्य सीट का परिणाम एक उम्मीदवार के निधन के चलते घोषित नहीं किया गया।
• परिणामों पर टिप्पणी करते हुए 71 वर्षीय हसीना ने कहा कि अवामी लीग महागठबंधन की चुनाव में जीत देश के लोगों के लिए दिसम्बर में एक और जीत है जो कि जीत का महीना है। उनका इशारा परोक्ष रूप से बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) की पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) पर दिसम्बर 1971 में मुक्तिसंग्राम में जीत की ओर था।
• हसीना ने कहा कि जीत उनके निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि यह देश और उसके लोगों के प्रति बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने अपने सरकारी आवास पर विदेशी पत्रकारों से कहा, यह एक विश्वसनीय और पारदर्शी चुनाव था..यद्यपि (विपक्ष) बीएनपी की चुनाव में हार उनकी अपनी खामियों और कमजोरियों के चलते हुई।’• उन्होंने कहा, ‘‘लोग यह नहीं जानते थे कि विपक्षी नेता है कौन..’। उन्होंने कहा कि लोग चाहते थे कि उनकी सरकार सत्ता में बरकरार रहे। हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध तेजी से प्रगाढ़ हुए हैं। भारत-बांग्लादेश के संबंधों में पिछले कुछ वर्ष ‘‘स्वर्णकाल’ रहे जिस दौरान भूमि और तटीय सीमा मुद्दों का समाधान हुआ।
• बांग्लादेश ने भारत को यह भी भरोसा दिया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पड़ोसी देश के खिलाफ किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं करने देगा। दोनों देश 4,096 किलोमीटर सीमा साझा करते हैं।इन नतीजों के बाद जहां शेख हसीना चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनेंगी वहीं उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया (73) भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद ढाका जेल में अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं।
• वह कथित तौर पर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त भी हैं। इस बीच विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट ने चुनाव आयोग से चुनाव को तत्काल रद्द करने और ‘‘निष्पक्ष अंतरिम सरकार’ के तहत नये सिरे से चुनाव कराने की मांग की। एनयूएफ प्रमुख एवं वरिष्ठ वकील कमाल हुसैन ने कहा, चुनाव आयोग को यह चुनाव तत्काल रद्द करना चाहिए। हम तथाकथित परिणामों को खारिज करते हैं और एक निष्पक्ष सरकार के तहत नए चुनाव की मांग करते हैं।’ बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम आलमगीर ने चुनावों को ‘‘क्रूर मजाक’ बताया।

*5. जापान के साथ मिलकर बांग्लादेश को पोर्ट का तोहफा देगा भारत*
• सरकार ने सुधीर भार्गव को नया मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया है। भार्गव पहले केंद्रीय सूचना आयुक्त थे। रविवार को सरकार चार पूर्व नौकरशाहों को सूचना आयुक्त नियुक्त कर चुकी है। इनकी नियुक्ति से पहले केंद्रीय सूचना आयोग में सिर्फ तीन सदस्य बच गए थे, जबकि मुख्य सूचना आयुक्त समेत 11 के पद सृजित हैं।
• उधर, इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों ने नियुक्ति में पारदर्शिता न बरतने और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की अवहेलना का आरोप लगाया है।
• एक याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि सर्च कमेटी, आवेदक और नियुक्ति के आधार के बारे में जानकारी वेबसाइट पर जरूर दी जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

*6. इस साल दुनिया में होने वाले 3 अहम बदलाव: इनका भारत पर भी असर संभव, सबसे अहम ब्रेग्जिट*
• ब्रेग्जिट: मार्च में यूरोपीय यूनियन से बाहर होगा ब्रिटेन, सदस्य चाहेंगे तो यह टल भी सकता है :-ब्रेग्जिट के मुद्दे पर 23 जून 2016 को ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ था। इसमें लोगों ने यूरोपीय यूनियन (ईयू) से अलग होने के पक्ष में वोट किया था। थेरेसा मे इसके बाद पीएम बनी थीं।
• ब्रिटेन को 29 मार्च 2019 को यूनियन से अलग होना है। यदि ईयू के 28 सदस्य सहमत नहीं होते हैं तो यह टल भी सकता है। ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने पर पौंड के गिरने से डॉलर की मांग बढ़ेगी। इससे पेट्रोल जैसी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेंगे। भारत के लिए ईयू सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। भारतीय आईटी सेक्टर की 16% से 18% कमाई ब्रिटेन से होती है। भारतीय शेयर बाजार भी प्रभावित हो सकता है।
• वक्त में बदलाव: अब यूरोपीय यूनियन साल में सिर्फ एक बार घड़ी का समय बदलेगा :- यूरोप में दिन की रोशनी का इस्तेमाल करने के लिए अभी तक साल में दो बार घड़ी का समय बदला जाता है। नए साल से यूरोपीय संघ (ईयू) इस व्यवस्था को खत्म कर और पूरे महाद्वीप में एक समय निर्धारित कर देगा। क्योंकि सदस्य देशों में इसे लेकर मतभेद थे। इस पर हुए ऑनलाइन सर्वे में 46 लाख लोग शामिल हुए थे।
• दिन की रोशनी को बचाने का सुझाव 1885 में ब्रिटिश खगोलशास्त्री जॉर्ज हडसन ने दिया था। तब से बसंत में घड़ी की सुइयां एक घंटे आगे कर दी जाती हैं, क्योंकि तब शाम को सूरज ज्यादा देर चमकता है। शरद में घड़ी की सुइयां फिर से एक घंटे पहले कर दी जाती हैं।
• गैस की राजनीति: 57 साल बाद ओपेक से अलग होगा कतर, गैस उत्पादन और बढ़ाएगा :- कतर नए साल में तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक से बाहर होगा। वजह, नेचुरल गैस पर फोकस करना है। कतर गैस उत्पादन सालाना 7.7 करोड़ टन से बढ़ाकर 11 करोड़ टन करना चाहता है।• दुनिया के नेचुरल गैस प्रोडक्शन में कतर की 30% हिस्सेदारी है। वह इसे बढ़ाना चाहता है। इसका असर यूरोप पर होगा। क्योंकि यूरोपीय देशों ने कतर में सबसे ज्यादा निवेश किया है। वे कतर के जरिए ओपेक में अपना दखल चाहते थे।
• कतर 1961 से ओपेक का सदस्य था। हालांकि तेल उत्पादन के मामले में कतर ओपेक का 11वां सबसे बड़ा देश है। भारत कतर से और तेल खरीद सकता है।
Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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