वर्तमान युग में स्वचालन का बोलबाला होता जा रहा है। यही कारण है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में बहुत अधिक निवेश कर रही हैं। मेकिंजे का अनुमान है कि तकनीक की दिग्गज कंपनियों ने 2016 में इस क्षेत्र में 20-30 अरब डॉलर का निवेश किया है।

इस निवेश के पीछे पूंजी की कीमत का घटना भी एक कारण है। पूंजी की ईकाई का मूल्य, श्रम की ईकाई के मूल्य से 0.6 गुना से भी कम हो गया है। इस असंतुलन ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया है। यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि ये तकनीकें, आने वाले विश्व में प्रतियोगिता, सम्पत्ति और रोजगार की नई परिभाषाएं लिखेंगी।

स्वचालन के कारण रोजगार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। एक अनुमान है कि 2033 तक अमेरिका के 47 प्रतिशत, चीन के 77 प्रतिशत, भारत के 69 प्रतिशत और अर्जेंटीना के 65 प्रतिशत रोजगारों पर तलवार लटक जाएगी। ये आंकड़े तो रोजगार के प्रत्यक्ष अवसर गंवाने के हैं। इनसे जुड़े अनेक अप्रत्यक्ष रोजगारों की संख्या तो कई गुना हो सकती है।

स्वचालन का दूसरा नकारात्मक परिणाम मेहनताने में कमी के रूप में देखा जा सकेगा। इस कमी का सीधा प्रभाव वस्तु एवं सेवाओं की मांग में कमी के रूप में दिखाई देगा। इससे रोजगारों में और भी कमी आएगी तथा आर्थिक मंदी आ जाएगी। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का सबसे अच्छा तरीका रोजगार के अवसर या मेहनताने में वृद्धि करना है।

तीसरे, विश्व आर्थिक मंच ने इस बात का खुलासा किया है कि 2030 तक पहुँचते-पहुँचते रोजगार का स्वरूप बिल्कुल भिन्न हो जाएगा। सवाल यह है कि जब हमें आगामी काल में मिल सकने वाले रोजगारों के स्वरूप का पता ही नहीं है, तो हम कौशल विकास किस प्रकार से करें? विश्व आर्थिक मंच. की एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 तक 7.1 करोड़ रोजगार खत्म होंगे, और बदले में मात्र 2.1 करोड़ नए अवसर प्राप्त होंगे।

भारत की स्थिति क्या होगी?

भारत के संदर्भ में हमें इन बदलावों पर दृढ़ता से पकड़ बनाए रखनी होगी। हमारे यहाँ प्रभावित होने वाले उद्योगों में सबसे ज्यादा नुकसान सूचना प्रौद्योगिकी को होगा। नास्कॉम का अनुमान है कि अगले तीन सालों में इस क्षेत्र में 20-25 प्रतिशत रोजगार कम हो जाएंगे। इसके अलावा ई-कामर्स, निर्माण, सुरक्षा सेवाओं, बैंकिंग, कृषि तथा श्रम आधारित उद्योगों पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे।

इस समस्या के समाधान के रूप में हमें अपने कार्यबल या कर्मचारियों को आधुनिक तकनीकों से लैस करना होगा। सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक व्यक्ति तकनीकी रूप से साक्षर हो। उसे ऐसे तंत्रों का ज्ञान देना होगा, जो जीवन पर्यन्त निरंतर उसे सिखाते रहें।

हमें अपने लोगों को बहुमुखी और अनुकूलन की क्षमता वाला बनाना होगा। रोजगार के परंपरागत अवसर समाप्त होने और नए अवसरों को अपनाने के बीच का काल संकटमय हो सकता है। अतः लोगों को उसके लिए तैयार करना होगा।

कुछ व्यापारिक संस्थानों तक पूंजी के संकेन्द्रण को रोकने हेतु हमें कर-प्रणाली में बदलाव करना होगा। कर से प्राप्त राशि को सामाजिक सुरक्षा या रोजगार के अवसर उत्पन्न करने हेतु उपयोग मे लाया जा सकता है।

बिल गेटस् ने अपने एक प्रस्ताव में कहा था कि इंसानों के बदले रोबोट को काम में लेने पर कर लाया जा सकता है। इस राशि का उपयोग बुर्जुगों की देखभाल या वंचित बच्चों के लिए किया जा सकता है।

यूनिवर्सल बेसिक इंकम का प्रावधान रखा जा सकता है।

कुल-मिलाकर हमारा उद्देश्य एक न्यायसंगत विश्व की स्थापना होना चाहिए। अगर ऐसा किया जा सके, तो स्वचालन भी उसमें अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *