‘क्वाड’ देशों का तीसरा सम्मेलन (Third Meeting of the ‘Quad’ Countries)

चर्चा में क्यों?
• हाल ही में सिंगापुर में क्वाड देशों-भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त सचिव स्तर की तीसरी बैठक संपन्न हुईं, ‘क्वाड’ इन चार देशों की अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है।
• 13वीं ईस्ट एशिया समिट के दौरान ही क्वाड सम्मेलन का भी आयेाजन किया गया था।
• यह क्वाड सम्मेलन मुख्यत: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचनात्मक प्रोजेक्ट्स एवं समुद्री सुरक्षा योजनाओं पर केंद्रित था।

महत्त्वपूर्ण बिंदु
1. इस सम्मेलन में चर्चा का केंद्र कनेक्टिविटी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, काउंटर टेररिज़्म, नॉन-प्रालिफेरेशन एवं मैरीटाइम और साइबर सिक्यूरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग करना था।
2. इसका उद्देश्य तेज़ी से विस्तार कर रहे इंटर-कनेक्टेड इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, जिसे ये चार देश एक-दूसरे एवं अन्य के साथ साझा करते हैं, में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
3. अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया ने अपने बयान में क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘नियम-आधारित आदेश’ (Rules-based order) पर ज़ोर दिया था, हालाँकि भारत इसके पक्ष में नहीं था।
4. सभी चार देशों ने आगे भी इस गठबंधन को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
5. सभी पक्षों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समुद्री इलाके में स्थिरता को समर्थन देने के लिये साथ काम करने के महत्त्व को स्वीकार किया।
6. चारों देशों ने विस्तृत आर्थिक विकास का समर्थन किया जिससे क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके। साथ ही गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना के विकास के लिये तेज़ी से कार्य करने की बात कही गई, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों जैसे- खुलापन, पारदर्शिता, आर्थिक सक्षमता और ऋण स्थिरता पर आधारित हो।
7. भारत ने क्वाड का सैन्यीकरण किये जाने पर हमेशा से ही एतराज जताया है उसका मानना है कि क्वाड का उपयोग सिर्फ असैनिक/नागरिक मुद्दों के लिये होना चाहिये।
8. वियतनाम के प्रतिनिधि ने ऐसी किसी भी प्रकार की पहल का स्वागत किया है जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाएगा लेकिन यह किसी भी प्रकार के सैन्य गठबंधन का विरोध करता है।
9. भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगामी वियतनाम दौरे के तीन दिन पहले वियतनाम का यह बयान सामने आया है।

क्वाड से इतर
• भारत और जापान ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं की एक शृंखला की घोषण भी की है जिसे उन्होंने Asia-African Growth Corridor नाम दिया है।
• भारत और जापान बांग्लादेश में जमुना रेलवे ब्रिज एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में अन्य ब्रिज, आवास व्यवस्था, म्याँमार के रोहिंग्या क्षेत्रों में स्कूल और विद्युत संबंधी परियोजनाओं, श्रीलंका में LNG plant र केन्या में कैंसर हॉस्पीटल जैसे प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम करेंगे।
• वहीं ऑस्ट्रलिया द्वारा भी बुनियादी ढाँचे के वित्तपोषण के लिये 2 बिलियन डॉलर के ऑस्ट्रेलियन इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग फैसिलिटी फॉर द पैसिफिक (Australian Infrastructure Financing Facility for the Pacific-AIFFP) की घोषणा की गई है।
• इसके द्वारा ऑस्ट्रेलिया, पड़ोसी देशों जैसे- फिजी, सोलोमन द्वीप एवं वनुआतु में प्रोजेक्ट्स का वित्तीयन करेगा।
• ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने Boe Pacific Security Declaration के तहत निकट रक्षा और समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की बात भी कही।
• इसके अंतर्गत पपुआ न्यू गिनी में एक नौसैनिक बेस बनाया जाएगा।
• ऑस्ट्रेलिया चाहता है कि भारत उसके Forum for India Pacific Islands Co-operation (FIPIC) योजना में रुचि दिखाए।

क्वाड की पृष्ठभूमि
1. ‘क्वाड’ की अवधारणा सबसे पहले भारत, जापान, यूएस और ऑस्ट्रेलिया द्वारा समुद्री आपदा के समय बड़े पैमाने पर राहत और पुनर्वास संबंधी कार्यों में सहयोग के लिये आई थी।
2. बाद में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने चीन के कारण उपजती भू-राजनैतिक और भू-रणनीतिक चिंताओं के मद्देनजर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के नेतृत्वकर्त्ताओं के परामर्श से 2007 में रणीनतिक वार्ता के रूप में ‘क्वाड’ की शुरुआत की।
3. क्वाड के इस विचार ने आसियान क्षेत्र में एक मिश्रित प्रतिक्रिया को जन्म दिया एवं चीन और रूस खुले तौर पर इसके विरोध में सामने आए।
4. हालाँकि 2008 में ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस ग्रुप से बाहर आने के कारण यह वार्ता शिथिल पड़ गयी थी लेकिन बाद में वह पुन: इस वार्ता में शामिल हो गया।
5. 2017 में, इस अनौपचारिक समूह को पुनर्जीवित किया गया ताकि एशिया में चीन के आक्रामक उदय को संतुलित किया जा सके।
6. क्वाड को ‘नियम-आधारित आदेश’ को ध्यान में रखते हुए पुर्नजीवित किया गया था ताकि नेविगेशन एवं ओवर फ्लाइट की स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय नियम का सम्मान, कनेक्टिविटी का प्रसार एवं समुद्री सुरक्षा को सहयेाग के मुख्य तत्त्व के रूप में पहचान मिल सके।
7. विदित हो कि, इसमें अप्रसार एवं आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी शामिल किया गया।
8. ‘क्वाड’ को Quadrilateral Security Dialogue (QSD) के नाम से भी जाना जाता है।
9. इस रणनीतिक वार्ता के साथ-साथ 2002 से मालाबार नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी चल रहा है।
10. मालाबार अभ्यास में अमेरिका, जापान और भारत शामिल हैं।
11. ध्यान रहे कि, ऑस्ट्रेलिया इस अभ्यास में भाग नहीं लेता है।
12. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का सिद्धांत है कि यह क्षेत्र मुक्त और समावेशी बने जहाँ विभिन्न देश अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करें।

भारत ने 13वें पूर्वी एशिया सम्मेलन में आसियान देशों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

प्रमुख बिन्दु
• तेरहवां वार्षिक पूर्वी एशिया सम्मेलन सिंगापुर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
• सम्मेलन में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के दस सदस्य देशों और आठ संवाद साझेदारों ने विचार-विमर्श में भाग लिया।
• शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया।
• अठारह देशों की भागीदारी के कारण यह शिखर सम्मेलन आसियान से संबंधित निकायों का सबसे अच्छा मंच माना जाता है।
• दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ-साथ व्यापक हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भागीदारी के लिए यह सम्मेलन एक और सकारात्मक आयोजन रहा।

भारतीय प्रधानमन्त्री द्वारा उठाया गया प्रमुख बिन्दु
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
• उन्होंने यह भी कहा कि भारत बहुपक्षीय सहयोग के उद्देश्य और विचारों के लिए प्रतिबद्ध है और इसका सदैव पालन करता है।
• आसियान सदस्य देशों से प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ाया जाना भारत की प्राथमिकताओं में है।
• शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी के लिए भी भारत प्रतिबद्ध है, जो क्षेत्र से जुड़ी भारत की चिंताओं और दायित्वों में संतुलन साधता है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान भारत की अनौपचारिक बैठक
• पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के अलावा आसियान भारत की अनौपचारिक बैठक भी हुई, जो जनवरी 2018 में आसियान भारत स्मरणीय शिखर सम्मेलन में उठे मुद्दों पर फिर से चर्चा करने का एक अन्य महत्वपूर्ण अवसर था।
• यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत ने वर्ष 2019 के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर सभी 10 आसियान देशों की सरकार के प्रमुखों को आमंत्रित किया है।
• अनौपचारिक बैठक के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने हिंद प्रशांत क्षेत्र और आसियान के भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के केंद्र में होने का जिक्र किया।
• साथ ही उन्होंने हिंद प्रशांत क्षेत्र में संपन्नता के लिए बड़े सामुद्रिक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया जिसके केंद्र में व्यापार को बढ़ावा देना है।
• यहां यह भी उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भारत और इंडोनेशिया ने पहली बार द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास समुद्र शक्ति का इंडोनेशिया के सुराबाया में आयोजन किया।
• इससे पहले भारती और इंडोनेशिया की नौसेनाएं समन्वित पेट्रोलिंग अभ्यास के माध्यम से एक दूसरे के साथ सहयोग करती थी।

सम्मेलन से इतर महत्वपूर्ण बैठक
1. सम्मेलन से अलग प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ- साथ ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और थाईलैंड के प्रधानमंत्रियों से द्विपक्षीय बातचीत भी की।
2. प्रधानमंत्री मोदी ने उपराष्ट्रपति पेन्स के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र के बारे में अपना विजन साझा किया।
3. गौरतलब है कि भारत के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका हिंद प्रशांत क्षेत्र को सशक्त करने के प्रति गंभीर रूप से सक्रिय हैं।
4. एक ओर जहां यह 4 प्रमुख लोकतांत्रिक सरकारें हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मजबूत करने में सहयोग कर रहे हैं वही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो का भी प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपना एक दृष्टिकोण है।
5. भारतीय प्रधानमंत्री के बयान का जिक्र अमरीकी उपराष्ट्रपति पेन्स और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के संबोधन में भी सुनने को मिला।
6. प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही पेन्स ने भी इस बात को रेखांकित किया कि आसियान देश हिंद प्रशांत से संबंधित अमरीकी नीति के केंद्र में हैं।
7. श्री पेन्स भारत और अमरीका के बीच एकरूपता का जिक्र करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि अमरीका ने भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को नया रूप दिया है।
8. उन्होंने कहा कि भारत अमरीका का एक बड़ा रक्षा साझेदार है और हम दोनों मिलकर इस क्षेत्र से जुड़े सुरक्षा के मुद्दों को हल करने में तत्पर है।
9. आसियान 2018 सम्मेलन के मेजबान देश सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने चीन सागर में विवादों को हल करने के लिए आसियान सदस्य देशों से आचार संहिता पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
10. सम्मेलन से इतर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। चारों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
11. माना जा रहा है कि पारंपरिक और गैर पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा को स्थिरता देने हेतु पारस्परिक सहयोग और समन्वय को और मजबूती देने पर सहमति बनी है।
12. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 36 घंटे की सिंगापुर यात्रा से आसियान देशों के साथ भारत के जुड़ाव को और मजबूती मिली है।
13. इससे क्षेत्र को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का भी प्रदर्शन हुआ है।

 

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